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लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विमल कुमार जायसवाल के विरुद्ध जांच के आदेश - INVESTIGATION AGAINST VIMAL KUMAR

नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग में गलत जानकारी देकर नियुक्ति पाने का आरोप.

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प्रोफेसर विमल कुमार जायसवाल (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के कॉमर्स डिपार्टमेंट के अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग में कार्यरत प्रोफेसर विमल जायसवाल के खिलाफ शासन ने एक जांच कमेटी का गठन किया है. उनके खिलाफ 3 दिसंबर 2024 को हुई शिकायत के बाद कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें इस पूरे मामले की जांच 15 दिन के अंदर कर शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं.

इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग अनुसचिव संजय कुमार द्विवेदी की तरफ से पत्र जारी किया गया है. जारी पत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी में उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव प्रो. डीपी शाही, लखनऊ के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलसचिव शामिल हैं.

Photo Credit- ETV Bharat
जांच का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)

नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग में गलत जानकारी देकर नियुक्ति पाने का आरोप : शासन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रोफेसर विमल जायसवाल की साल 2005 में लखनऊ विश्वविद्यालय में कॉमर्स डिपार्टमेंट के अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई थी. उन्हें पिछड़ा वर्ग की नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग कैटेगरी में नियुक्ति दी गई थी. जबकि उनके पिता राधेश्याम जयसवाल लखनऊ विश्वविद्यालय के ही फूड प्रोफेसर रहने के साथ ही अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में योजना आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर भी रह चुके थे.

इसके अलावा शासन को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि उनके द्वारा परीक्षा केंद्रो के निर्धारण, शिक्षकों की नियुक्तियों में भी अनियमितता की गई है. साथ ही अंकों में हेर-फेर, शोध विद्यार्थियों का शोषण आदि भी शामिल हैं. इस संदर्भ में जब जानकारी लेने के लिए प्रोफेसर विमल जायसवाल को फोन किया गया तो उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र में नहीं था.

यह भी पढ़ें : मेरठ में जॉब फेयर, सर्दी में ऑनलाइन इंटरव्यू देकर पाएं 25 हजार रुपये तक की सैलरी वाली नौकरी

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के कॉमर्स डिपार्टमेंट के अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग में कार्यरत प्रोफेसर विमल जायसवाल के खिलाफ शासन ने एक जांच कमेटी का गठन किया है. उनके खिलाफ 3 दिसंबर 2024 को हुई शिकायत के बाद कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें इस पूरे मामले की जांच 15 दिन के अंदर कर शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं.

इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग अनुसचिव संजय कुमार द्विवेदी की तरफ से पत्र जारी किया गया है. जारी पत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी में उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव प्रो. डीपी शाही, लखनऊ के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलसचिव शामिल हैं.

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जांच का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)

नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग में गलत जानकारी देकर नियुक्ति पाने का आरोप : शासन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रोफेसर विमल जायसवाल की साल 2005 में लखनऊ विश्वविद्यालय में कॉमर्स डिपार्टमेंट के अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई थी. उन्हें पिछड़ा वर्ग की नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग कैटेगरी में नियुक्ति दी गई थी. जबकि उनके पिता राधेश्याम जयसवाल लखनऊ विश्वविद्यालय के ही फूड प्रोफेसर रहने के साथ ही अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में योजना आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर भी रह चुके थे.

इसके अलावा शासन को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि उनके द्वारा परीक्षा केंद्रो के निर्धारण, शिक्षकों की नियुक्तियों में भी अनियमितता की गई है. साथ ही अंकों में हेर-फेर, शोध विद्यार्थियों का शोषण आदि भी शामिल हैं. इस संदर्भ में जब जानकारी लेने के लिए प्रोफेसर विमल जायसवाल को फोन किया गया तो उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र में नहीं था.

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