शिमला: रील लाइफ में बॉलीवुड की क्वीन हो चुकी कंगना की रियल पॉलिटिकल लाइफ इतनी आसान नहीं होने वाली है. रुपहले पर्दे का स्टारडम का स्वाद चख चुकी कंगना के लिए सियासी पर्दे का संघर्ष अब शुरू हुआ है. मांडव्य ऋषि के नाम पर मंडी का नामकरण हुआ है. इसी मंडी लोकसभा सीट से कंगना को भाजपा ने मैदान में उतारा है. भाजपा में वैसे भी बॉलीवुड स्टार का क्रेज है. भाजपा की टिकट पर कई स्टार लोकसभा पहुंच चुके हैं. इधर, मंडी कंगना का गृह जिला बेशक है, लेकिन उनका यहां विरोध भी शुरू हो गया है.
कंगना को टिकट देने पर BJP में असंतोष: विपक्ष तो अपने हिसाब से कंगना को टिकट दिए जाने पर सवाल उठा रहा है, लेकिन भाजपा के भीतर भी असंतोष के स्वर फूट रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी कंगना के खिलाफ सवालों की बौछार आ गई है. हालांकि कंगना अपने ही स्टाइल में विरोधियों के सवालों का तर्कपूर्ण जवाब दे रही है, लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं, जो कंगना के लिए मुसीबत बन ही जाएंगे. यहां उन सवालों का जिक्र करेंगे.
मुंबई में मिलता है सुख-आराम:कंगना के एक इंटरव्यू का हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उस वायरल क्लिप में कंगना कह रही है-जो मेरा मुंबई में घर है, जिसे मैंने अपने पैसे से कमाया है, वहां आकर मुझे लगता है कि ये मेरा घर है. एक निजी चैनल पर ये इंटरव्यू है. हालांकि इस सवाल का संदर्भ दूसरा है, लेकिन कंगना की ये क्लिप खूब वायरल हो रही है. यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि यदि कंगना को मुंबई अपना घर लगता है तो चुनाव जीतने के बाद वो मंडी की जनता की सेवा में कैसे समय प्रदान करेंगी?
विपक्ष भी कर रहा वार:कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कंगना के खिलाफ हुई टिप्पणियों और उनके चुनाव लड़ने के सवाल पर अपना मत स्पष्ट किया है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कंगना हिमाचल की बेटी और उनकी बड़ी बहन हैं. उन पर कोई अभद्र टिप्पणी सहन नहीं की जाएगी, लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि यदि वो चुनाव जीतती हैं तो क्या सांसद निधि के लिए मुंबई जाना होगा? साथ ही ये सवाल भी दागा कि जब आपदा आई थी तो कंगना मंडी और कुल्लू क्यों नहीं आई? कंगना ने इन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यदि कोई नौकरी करने के लिए अपने घर से दूर जाता है तो क्या वो उसका घर नहीं रहता? कंगना जनता के बीच भावुक संवाद करते हुए अपनी बोली में भाषण दे रही हैं. वे खुद को मंडी की बहन-बेटी बता रही हैं. कंगना मंडी, कुल्लू, हमीरपुर और बिलासपुर आदि में अपनी रिश्तेदारियां गिना रही हैं. लेकिन ये बात अपनी जगह बरकरार है कि चुनाव जीतने के बाद कंगना हिमाचल को कितना समय देंगी?
सोशल मीडिया पर याद दिलाया जा रहा पुराना किस्सा:सोशल मीडिया पर ये भी सवाल किया जा रहा है कि कंगना ने हिमाचल का पर्यटन ब्रांड एंबेसडर बनने के लिए एक भारी-भरकम रकम की मांग की थी. हिमाचल के पर्यटन विकास बोर्ड की तरफ से संपर्क किए जाने के बाद भी कंगना ने कोई रिस्पांस नहीं दिया था. लोगों का कहना है कि यदि कंगना को हिमाचल से इतना ही प्यार होता तो वे निशुल्क यहां का प्रचार करती. पूर्व में कांग्रेस सरकार के समय पर्यटन विकास बोर्ड के चेयरमैन मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने कंगना को ये प्रस्ताव दिया था. कंगना को ये प्रस्ताव याद दिलाया जा रहा है.
आसान नहीं पांगी से लाहौल की खाक छानना:हिमाचल की राजनीति की बहुत गहराई से समझ रखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी और लेखक कृष्ण भानू कहते हैं कि पांगी से लाहौल और किन्नौर से स्पीति तक की खाक छानना आसान नहीं है. भरी गर्मी में रंग काला पड़ जाएगा, जिसे कोई मेकअप मैन भी आसानी से नहीं सुधार पाएगा. कृष्ण भानू के कहने का तात्पर्य यही है कि चुनाव प्रचार में पसीना बहाना आसान नहीं है. फिर जीवन की सारी प्राइवेसी स्वाह हो जाएगी. कृष्ण भानू ने ये बातें उस समय लिखी हैं, जब कंगना को टिकट नहीं मिला था. उन्होंने कितना सही लिखा, वो अब सामने आ गया है. क्योंकि सोशल मीडिया पर यूजर्स कंगना के पुराने ट्वीट, इंटरव्यू आदि खोज-खोज कर ला रहे हैं.
कार्यकर्ता की पीड़ा शीर्षक वाली पोस्ट वायरल:हिंदू जागरण मंच से जुड़े रहे कमल गौतम की एक कार्यकर्ता की पीड़ा शीर्षक वाली पोस्ट खूब वायरल हो रही है. मंडी सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर वे लिखते हैं- क्या राष्ट्रवादी कुनबे के पास एक भी ऐसा कार्यकर्ता नहीं था, जो वहां से चुनाव लड़ता. वे स्पष्ट करते हैं कि कंगना से उनका कोई निजी द्वेष नहीं है. वे हिमाचल की बेटी हैं और जब मुंबई में उनका घर तोड़ा गया था तो हिंदू जागरण मंच ने संजय राउत के खिलाफ जोरदार मुहिम चलाई थी. उन्होंने दावा किया कि कंगना को मैदान में उतारने के फैसले से कार्यकर्ता आहत हैं. वे मंडी से टिकट में बदलाव की वकालत भी कर रहे हैं और इसके पीछे कई तर्क भी दिए हैं.
कंगना की राह नहीं होगी आसान:ऐसे में कह सकते हैं कि कंगना की राह आसान नहीं होने वाली है. कंगना परोक्ष रूप से ये स्वीकार कर चुकी हैं कि उनके चुनाव में मोदी मैजिक का रोल रहेगा. साथ ही वे हिमाचल से अपने रिश्ते को इमोशनली भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. वे अपनी वाकपटुता से कई सवालों का तर्कपूर्ण जवाब भी देंगी, लेकिन विरोध के स्वर थामने में ये कितना सफल होंगे, इसे देखना होगा. वहीं, भाजपा का प्रदेश नेतृत्व, भाजपा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और अन्य नेता कंगना को जिताने के लिए जी-जान से जुट गए हैं. लेकिन उन्हें कार्यकर्ताओं के आहत मन पर भी मरहम लगाना होगा. ये सही है कि भाजपा कार्यकर्ता सभी सीटों पर पीएम नरेंद्र मोदी के नाम और काम का प्रचार करते हैं, लेकिन प्रत्याशी की निजी छवि भी बहुत मायने रखती है. ये भी स्मरण रखना होगा कि मंडी से सरकाघाट सीट से भाजपा विधायक रहे कर्नल इंद्र सिंह, द्रंग से पूर्व विधायक जवाहर ठाकुर, मंडी से भाजपा के युवा नेता रहे प्रवीण शर्मा आदि भी अलग से मुलाकात कर चुके हैं. कंगना की उम्मीदवारी का ये प्रत्यक्ष और परोक्ष विरोध मंडी सीट को हॉट बना चुका है.
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