पटना:राज्य के किसानों को घोड़परास(नीलगाय) और जंगली सुअरों के कारण होने वाले फसल नुकसान से निजात दिलाने की जिम्मेवारी अब बिहार सरकार ने अपने कंधे पर ले ली है. सरकार ने नीलगाय और जंगली सूअरों को मार गिराने का फैसला लिया है. इसके लिए सरकार का डेथ प्लान तैयार है.
कितने जिले हैं प्रभावित: बिहार के 34 जिलों में नीलगाय और 30 जिलों में जंगली सुअर के कारण फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन जिलों में नीलगायों की संख्या लगभग 3 लाख और सुअरों की संख्या लगभग 67 हजार अनुमानित है.
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले: नीलगाय और जंगली सुअर से सबसे अधिक प्रभावित जिले वैशाली, पूर्वी-पश्चिमी चम्पारण, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, गया और बक्सर है. इन जिलों के किसान नीलगाय एवं जंगली शुगर के आतंक से परेशान हैं. हर वर्ष यह उनके फसलों को बर्बाद कर देते हैं. इसके लिए कृषि भवन में बैठक हुई. बैठक में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार एवं कृषि मंत्री मंगल पांडे मौजूद थे.
किन फसलों को करते हैं नुकसान: नीलगाय के द्वारा झुण्ड में आकर अरहर और गन्ना की फसलों को बर्बाद कर दिया जाता है. जबकि जंगली सुअर आलू, टमाटर, फुलगोभी, मक्का की फसलों को गंभीर क्षति पहुंचाते हैं. वन विभाग द्वारा नीलगाय और जंगली सुअरो द्वारा फसल नष्ट करने की स्थिति में 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जाता है.
कृषि विभाग इसका खर्च उठाएगी: पंचायती राज विभाग के माध्यम से पंचायत के मुखिया को इन जानवरों से निपटने का अधिकार पूर्व से प्राप्त है, लेकिन उनके पास शिकारी उपलब्ध नहीं है. इस कारण इस समस्या के निराकरण में पंचायत की प्रतिनिधि को कठिनाई हो रही थी. बैठक में निर्णय लिया गया कि कृषि विभाग, वन विभाग एवं पंचायती राज विभाग सम्मिलित रूप से इसका निदान करेंगे.