पटनाः हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है. बिहार की पहचान कई मायनों में खास है. बिहार के सरकारी कार्यक्रमों में हर जगह पर राज्य गीत बजते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस राज्य गीत के रचयिता कौन है. बिहार दिवस पर गाए जाने वाला राज्य गीत 'मेरे भारत के कंठ हार, तुझको सत सत वंदन बिहार' के रचयिता कवि सत्यनारायण प्रसाद हैं.
कंपटीशन से हुआ राज्य गीत का सेलेक्शनः सत्यनारायण प्रसाद का जन्म 13 सितंबर 1935 को भोजपुर जिला में हुआ है. 1974 के जेपी आंदोलन में इन्होंने सक्रिय भागीदारी दिखाई और फणीश्वर नाथ रेणु की अगुवाई में नुक्कड़ नाटक चौक चौराहा पर किया करते थे. उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, नागार्जुन पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सत्यनारायण प्रसाद ने बताया कि इस राज्य गीत के लिए कंपटीशन करके सेलेक्शन किया गया था.
"बिहार गीत लिखने के लिए विज्ञापन निकाला गया था, संयोग ऐसा था कि उस समय मैंने ओपन हार्ट सर्जरी करवाया था और रांची में पुत्र के पास था. उस समय पटना से फोन आया हमारे मित्र अभय राज का उन्होंने मुझको खबर किया. फिर बच्चों ने भी हौसला बढ़ाया. उसके बाद हमने ये गीत लिखा. विज्ञापन में देखकर लगभग 2000 रचनाएं सरकार के पास आईं थीं, सरकार ने टीम गठित कर कई लेवल पर उसकी स्क्रीनिंग की. उसके बाद अंत में जो निर्णय आया वह हमारे गीत पर मुहर लगी"- सत्यनारायण प्रसाद, साहित्यकार
'बिहार का योगदान अतुलनीय है': सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि बिहार राज्य गीत के लिए कहा गया था कि गीत छोटा होना चाहिए. मेरा गीत छोटा होने के साथ-साथ बिहार का भविष्य ,अतीत और वर्तमान को मिलाकर लिखा गया था, इसी वजह से इसका चयन किया गया. बिहार गीत में इस राज्य के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन किया गया, बिहार का योगदान अतुलनीय है और बिहार के महापुरुषों भगवान बुद्ध, महावीर, अशोक, गुरु गोबिंद सिंह, बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे महापुरुषों की जन्म और कर्म भूमि बिहार से जुड़ी है.