मुजफ्फरपुर: 29 दिसंबर को आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया. मुजफ्फरपुर के एक छोटे से गांव से निकलने वाले किशोर कुणाल आईपीएस अधिकारी से लेकर कई बड़े पदों पर रहे. धर्म के क्षेत्र में इनका योगदान अतुलनीय रहा. खासकर इन्हें पटना महावीर मंदिर के माध्यम से ज्यादा जाना जाता है. आचार्य किशोर कुणाल महावीर मंदिर न्याय समिति के सचिव थे. इसके साथ अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के भी सदस्य थे.
गांव में बनवाया मंदिर: आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म के क्षेत्र में काम कर नाम कमाया. किशोर कुणाल के गांव में एक मंदिर है. इसे आचार्य किशोर कुणाल ने ही बनवाया था. इसके पीछे का किस्सा दिलचस्प हैं. बता दें कि जिस दिन किशोर कुणाल का निधन हुआ, उस दिन मुजफ्फरपुर के बरूराज में खबर जाते ही शोक का माहौल हो गया था. अभी भी उनके गांव में विरानगी छायी है.
इसलिए मंदिर बनवाए: गांव के मंदिर के पास रहने वाले मुकुंद शाही किशोर कुणाल की चर्चा करते हुए बताते हैं कि आचार्य किशोर की शादी थी. इसी दौरान पूजा करने गए थे. तभी उनके सिर में चोट लगी. इसी दौरान उन्होंने ने संकल्प लिया था कि वेतन के पहले रुपए से गांव में मंदिर बनवाने का काम करेंगे. जब आईपीएस की नौकरी में गए तो गांव में मंदिर का निर्माण कराया था.
"शादी के दौरान पूजा करने के लिए गए थे. उन्हें सिर में चोट लग गयी थी. इसी दौरान उन्होंने भगवान का मंदिर बनाने का संकप्ल लिया था. नौकरी लगने के बाद पहला वेतन से मंदिर का निर्माण कराया था." -मुकुंद शाही, ग्रामीण
निधन से छोटे भाई दुखी: आचार्य किशोर कुणाल के छोटे भाई नंदकिशोर शाही गांव में ही रहते हैं. आचार्य के सहपाठी और बचपन के मित्र वीरबहादुर शाही निधन से काफी दुखी है. उन्होंने कहा कि यह एक अपूर्णीय क्षति है. बचपन में दोनों साथ में पढ़ते थे. पहले बरुराज मिडल स्कूल फिर हाइस्कूल में पढ़ाई की. इसके बाद एलएस कॉलेज चले गए. इसके बाद किशोर कुणाल पटना में पढ़ाई करने लगे.
कभी-कभी गांव आते थे: वीरबहादुर शाही बताते हैं कि आईपीएस की नौकरी के बाद कभी-कभी गांव आते थे. किसी के शादी विवाह या फिर कोई अन्य कार्यकर्म में आना जाना रहता था. उन्होंने बताया कि अब गांव में कोई नहीं रहता है. सायन कुणाल की शादी में सभी लोग गांव आए थे. इसके बाद सभी पटना में रहते थे.
"बचपन से ही किशोर कुणाल गंभीर प्रवृति के थे. पढ़ाई के प्रति गहरा लगाव था. उनके बेटे श्यान कुणाल गांव नही आते हैं पर शादी के समय गांव आए थे. किशोर कुणाल और हम दोनों साथ में पढ़ाई किए थे. गांव में पढ़ने के बाद एलएस कॉलेज में भी साथ पढ़े थे." -वीरबहादुर शाही, छोटे भाई
बाबरी मस्जिद मामले संभाला था जिम्मा: किशोर कुणाल को एक और अतुलनीय काम के लिए याद किया जाता है. जब देश में वीपी सिंह की सरकार थी तो उस वक्त आचार्य किशोर कुणाल को केंद्र सरकार ने विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया था.
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