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बेलागंज में ढह गया RJD के 35 वर्षों का किला, JDU की मनोरमा देवी विजयी

गया की बेलागंज सीट पर जेडीयू प्रत्याशी मनोरमा देवी विजयी हुई. इनका मुकाबला आरजेडी कैंडिडेट विश्वनाथ सिंह से था.

बेलागंज विधानसभा उपचुनाव रिजल्ट
बेलागंज विधानसभा उपचुनाव रिजल्ट (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 23, 2024, 7:16 AM IST

Updated : Nov 23, 2024, 12:27 PM IST

गया:बिहार उपचुनाव के लिए शनिवार को काउंटिंग हुई. बेलागंज विधानसभा उपचुनाव रिजल्ट पर सबकी नजर टिकी रही. इस सीट से जदयू प्रत्यासी मनोरमा देवी विजयी हो हो गयी. यहां सीधी टक्कर सुरेंद्र यादव के पुत्र राजद विश्वनाथ कुमार सिंह से था. हालांकि जन सुराज ने त्रिकोणात्मक बनाने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सकी. जन सुराज के मोहम्मद अमजद अली राजद कैंडिडेट विश्वनाथ कुमार सिंह की भी हार हुई.

56.21% मतदान:बेलागंज सीट के लिए इस बार वोटिंग अच्छी हुई है. तकरीबन 2.80 लाख मतदाताओं में से 56.21% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. मतों की गिनती गया कॉलेज के मानविकी भवन में 28 टेबल पर 11 राउंड गिनती हुई. सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से मुस्तैद रही.

लालू यादव कर चुके हैं प्रचार:बेलागंज की सीट राजद के लिए महत्वपूर्ण था. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चुनाव प्रचार के लिए आना पड़ा था. किसी तरह समय निकालकर लालू यादव यहां पहुंचे थे और उन्होंने अपने परंपरागत वोटरों को एक होने की बात कही थी. हालांकि लालू की अपील रंग नहीं ला पायी और जदयू की जीत हो गयी.

35 साल तक सुरेंद्र यादव का कब्जा रहा:बेलागंज विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा यादव वोटरों की तादाद है. यहां 35 सालों से सुरेंद्र यादव का कब्जा रहा है. इस बार उनके पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह भाग्य आजमा रहे थे. दूसरी ओर यादव जाति की ही रही मनोरमा देवी जदयू थी. यादव मतदाताओं का वोट इन्हें पड़ा है. राजद के परंपरागत वोटों में से मुस्लिम वोट जन सुराज के उम्मीदवार मोहम्मद अमजद अली ने सेंधमारी कर दी, लेकिन अंत में मनोरमा देवी की जीत हुई.

जन सुराज को नहीं मिली सफलता: राजद के लिए जदयू की यादव उम्मीदवार और जनसुराज का मुस्लिम उम्मीदवार परेशानी का सबब साबित हो सकता था. कुल मिलाकर विश्वनाथ कुमार सिंह और मनोरमा देवी के बीच सीधी टक्कर थी. जन सुराज के मोहम्मद अमजद अली को मिलने वाले वोट गुल नहीं खिला पाए.

सियासी पंडितों की थी नजर:इस रिजल्ट पर भी बिहार के सियासी पंडितों की नजर थी. इसका मुख्य कारण यह है कि यह राजद का गढ माना जाता है. अब गढ़ दरक गया है. 2025 विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा मैसेज जनता के बीच जाएगी.

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Last Updated : Nov 23, 2024, 12:27 PM IST

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