पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. जदयू ने आगामी चुनाव में 225 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. लेकिन, सवाल यह उठता है कि यह लक्ष्य कैसे हासिल होगा? जब प्रशांत किशोर जैसे रणनीतिकार उसी दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जो जेडीयू का आधार वोट बैंक है.
मिशन 225 क्या हैः 2020 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को केवल 43 सीटों पर जीत मिली थी, जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बिहार में हो गई. हालांकि इस साल लोकसभा चुनाव में पार्टी का शानदार प्रदर्शन रहा. अब 2025 विधानसभा चुनाव में भी इसे बरकरार रखने की तैयारी है. 16 सितंबर को जेडीयू की बैठक हुई थी. बैठक में विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए को 225 सीट जीताने का लक्ष्य तय किया गया. जेडीयू कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत से चुनाव की तैयारी में लग जाने का निर्देश दिया गया.
जेडीयू का वोट बैंकः जेडीयू 19 साल से सत्ता पर काबिज है. शुरू में जेडीयू का कोर वोट बैंक कुशवाहा-कुर्मी के अलावा अति पिछड़ा और दलित वोट बैंक रहा था. शराबबंदी के बाद से नीतीश के वोट बैंक में महिला वोटर जुड़ा. कहा जाता है कि इस बार लोकसभा चुनाव में महिला वोटरों ने नीतीश की नैया को पार लगाया था. राजद से मुस्लिम वोटर छिटककर जदयू से जुड़ा है. ऐसे में नीतीश के वोट बैंक का मजबूत आधार मुस्लिम और महिला वोटर भी बन गये हैं.
बिहार की राजनीति में पीके की इंट्रीः दो अक्टूबर को प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी बनाये जाने की घोषणा कर दी. उन्होंने विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनानी भी शुरू कर दी. प्रशांत किशोर ने घोषणा किया कि उनकी पार्टी सभी 243 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी गठन से पहले ही प्रशांत किशोर ने यह घोषणा कर दी थी कि बिहार में जाति आधारित गणना के आधार पर उनकी पार्टी प्रत्याशियों का चयन करेगी.
नीतीश के वोट बैंक में सेंधमारीः हाल ही में करायी गयी जातीय गणना के अनुसार बिहार में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी, पिछड़े वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत, SC-19.65 फीसदी, ST- 1.6 प्रतिशत और मुसहर की आबादी 3 फीसदी और मुस्लिम आबादी 17.7 प्रतिशत बतायी गयी. आबादी के हिसाब से पीके की पार्टी में सबसे ज्यादा मुसलमान को टिकट दिया जाएगा. इसके बाद यादवों को टिकट दिया जाएग. प्रशांत किशोर ने 40 महिला उम्मीदवारों को भी टिकट देने की घोषणा की है.
पीके का दलित कार्डः प्रशांत किशोर ने पार्टी के गठन के साथ ही सबसे बड़ा दलित कार्ड खेला. रविदास समाज से आने वाले मनोज भारती को उन्होंने पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया. प्रशांत किशोर ने पार्टी के गठन के बाद सबसे ज्यादा नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था कि 2025 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में जदयू को 20 सीट भी नहीं मिल पाएगी. प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा के चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में ही सभी राजनीतिक दलों के बोरिया बिस्तर समेट देने का ऐलान कर दिया.
पदयात्रा से राजनीतिक शुरुआतः प्रशांत किशोर 2022 से बिहार में सक्रिय राजनीति को लेकर एक्टिव हुए. 2 अक्टूबर 2022 को उन्होंने पश्चिम चंपारण से पूरे बिहार में पदयात्रा की शुरुआत की. जिसका नाम जन सुराज पदयात्रा दिया गया. 2 वर्षों से लगातार प्रशांत किशोर बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं. अब तक करीब 5000 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं. 2 वर्षों के बाद 2 अक्टूबर 2024 को पटना के वेटरनरी कॉलेज मैदान में उन्होंने अपने राजनीतिक दल जन सुराज की घोषणा की.
जन सुराज का दावाः आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज का दावा है कि बिहार के सभी बड़े राजनीतिक दल को उनकी पार्टी के शक्ति का एहसास हो जाएगा. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय ठाकुर का कहना है कि बिहार के सत्ताधारी एवं विपक्षी दल इस बार जन सुराज की चुनौती का शिकार बनेंगे. 15 वर्षों के लालू प्रसाद यादव का शासन और 19 वर्षों से नीतीश कुमार के शासन से बिहार के लोग त्रस्त हो गए हैं. बिहार के लोग इन लोगों के शासन से परेशान हैं.
"बिहार में लोग राजनीतिक विकल्प की तलाश में हैं. जन सुराज बिहार में मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित हुआ है. इससे दोनों गठबंधनों (एनडीए और महागठबंधन) की परेशानी बढ़ी है. जन सुराज के रूप में बिहार में जनता का सुंदर राज स्थापित होगा."- संजय ठाकुर, मुख्य प्रवक्ता, जन सुराज
नीतीश के सुशासन पर जनता की मुहरः जन सुराज पार्टी के दावे पर जदयू के प्रवक्ता अंजुम आरा ने पलटवार किया है. जदयू प्रवक्ता का कहना है कि प्रशांत किशोर राजनीतिक व्यवसाई हैं. उनका प्रोफेशन राजनीतिक दलों के लिए रणनीति बनाना है. प्रशांत किशोर आजकल बड़े-बड़े राजनीतिक दावे कर रहे हैं उनके राजनीतिक दावे खोखले हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस इनके रणनीति में चुनाव लड़ी और क्या हाल हुआ सब जानते हैं. पंजाब में कांग्रेस ने इनको बाहर का रास्ता दिखाया.