भोपाल।नगर निगम का मुख्यालय आईएसबीटी और माता मंदिर में है. इसके साथ ही आधा दर्जन कार्यालय शहर के विभिन्न हिस्सों में संचालित हो रहे हैं. वहीं नगर निगम शहर में करीब 500 से अधिक आवासीय इमारतों का निर्माण भी कर चुका है. लेकिन अब इन इमारतों का न तो फायर आडिट कराया गया और न ही एनओसी जारी की गई. ऐसे में कभी भी आग की बड़ी दुर्घटना हो सकती है. हालांकि इसको लेकर कर्मचरी और रहवासी नगर निगम से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी.
फायर एक्सटिंग्विशर में जाले, सालों से नहीं हुई रिफलिंग
नगर निगम की जिन इमारतों में फायर सेफ्टी से संबंधित उपकरण लगे हैं, वहां भी हालात कुछ ठीक नहीं है. यहां फायर एक्सटिंग्विशर में जाले लग गए हैं. न तो इनकी रिफलिंग की जा रही है और न ही मरम्मत. इधर, कर्मचारियों को भी ये उपकरण चलाने का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया. जिससे हादसा होने पर कर्मचारी इन उपकरणों का इस्तेमाल भी नहीं कर पाते.
सतपुड़ा भवन में नहीं कराया था ऑडिट
जून 2023 में एमपी सरकार के सतपुड़ा भवन में आग लग गई थी. जिससे तीन फ्लोर पूरी तरह जलकर राख हो गए थे. जब इसकी जांच हुई तो पता चला कि इसका फायर आडिट नहीं कराया गया था. लेकिन आग लगने के बाद भी सरकारी इमारतों का ऑडिट नहीं कराया गया. जबकि इसके बाद एक बार फिर फरवरी 2023 में आग लगी. इसी तरह मार्च 2024 में वल्लभ भवन में आग लग गई. इसके बावजूद सरकारी इमारतों के फायर आडिट में लापरवाही बरती जा रही है.
बहुमंजिला इमारतों में फायर ऑडिट कराने के लिए ये हैं नियम
नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के अनुसार आवासीय उपयोग के भवन जो 15 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई के हैं, इनके लिए हर वर्ष फायर ऑडिट कराना अनिवार्य है. साथ ही होटल, शैक्षणिक, संस्थागत, व्यवसायिक, औद्योगिक गोदाम व फैक्ट्री जिनका फ्लोर एरिया 500 मीटर और ऊंचाई नौ मीटर से अधिक है. ऐसे भवनों के लिए भी फायर एनओसी लेना अनिवार्य है. इनमें वे भवन भी शामिल हैं, जिनमें दो या अधिक बेसमेंट हैं या एक बेसमेंट का क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से अधिक है. लेकिन फायर ऑडिट और एनओसी के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है.