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पेट में पानी की थैली में कम हो गया था एमनियोटिक द्रव, 6 माह की प्रीमेच्योर बच्ची की ऐसे बची जान - AIIMS BHOPAL PRE MATURE DELIVERY

गर्भधारण करने के 6 माह बाद ही महिला ओलिगोहाइड्रामनिओस बीमारी से जूझ रही थी. जन्म के समय बच्चे का वजन 710 ग्राम था.

AIIMS BHOPAL PRE MATURE DELIVERY
गर्भावस्था के 6 महीने बाद ही बीमारी से जूझ रही महिला का डॉक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 15 hours ago

भोपाल: एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक गर्भवती महिला और उसके नवजात शिशु को नया जीवन दिया है. दरअसल एक गर्भवती महिला गर्भधारण करने के करीब 6 महीने बाद ही तेज प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी. जब उसने एम्स की ओपीडी में दिखाया, तो डॉक्टरों ने उसे अल्ट्रासांउट कराने की सलाह दी. इस रिपोर्ट में सामने आया कि महिला ओलिगोहाइड्रामनिओस बीमारी (oligohydramnios disease) से जूझ रही थी. ऐसे में गर्भावस्था के दौरान शिशु के आसपास एमनियोटिक द्रव कम हो जाता है, ऐसे में गर्भपात, बच्चे में जन्मजात दोष, समय से पहले जन्म और मृत बच्चा पैदा होने की संभावना रहती है.

जन्म के समय 710 ग्राम था बच्चे का वजन

एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने बताया कि "ओपीडी में देखने के बाद डॉक्टरों ने गर्भवती महिला की जटिलताओं को देखते हुए सिजेरियन ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. जब बच्ची का जन्म हुआ उस समय उसका वजन केवल 710 ग्राम था. नवजात का समय से 2 महीने पहले जन्म होने और महिला के पेट के पानी की थैली में एमनियोटिक द्रव की कमी होने से वो काफी कमजोर था."

एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि "आपरेशन के बाद गर्भवती महिला के साथ करीब 2 महीने तक नवजात का बारीकी से इलाज किया गया. बच्ची को केवल मां के दूध पर पोषण दिया गया और हड्डियों के स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए कैल्शियम टॉनिक भी दिया गया. इसका परिणाम रहा कि 6 महीने की आयु में शिशु ने असाधारण प्रगति दिखाई है. अब उसका वजन 4.9 किलोग्राम हो गया है."

2 महीने पहले जन्मे शिशु को नया जीवन

एम्स डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने बताया कि "एम्स संस्थान ने एक बार फिर चिकित्सा अनुसंधान, नवाचार और स्वस्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता को साबित किया है. हाल ही में, संस्थान में निर्धारित समय से 2 महीने पहले जन्मे एक नवजात शिशु की स्पेशल केयर और एक मां के अटूट समर्पण से कई महत्वपूर्ण चुनौतियों को पार किया. यह बच्ची जून 2024 में गर्भावस्था के केवल 30वें सप्ताह में पैदा हुई थी और उसका जन्म वजन मात्र 710 ग्राम था. जिसे अत्यंत कम जन्म वजन की श्रेणी में रखा जाता है. यह मामला अच्छी चिकित्सा देखभाल, मातृ समर्पण और मां के दूध के अतुलनीय लाभों का प्रतीक है."

इसलिए जरुरी है एमनियोटिक द्रव

एम्स डायरेक्टर के मुताबिक "बच्चे को गर्भ में बढ़ने के लिए एमनियोटिक द्रव की आवश्यकता होती है. यह पानी जैसा द्रव एमनियोटिक थैली (झिल्ली) के अंदर होता है. इसे कभी-कभी पानी की थैली भी कहा जाता है. आपका बच्चा पूरी गर्भावस्था के दौरान इस द्रव में रहता है. यह आपके बच्चे की सुरक्षा करने में मदद करता है और विकास के दौरान उसे हिलने-डुलने और लात मारने में मदद करता है. एमनियोटिक द्रव आपके बच्चे के फेफड़ों, गुर्दे और जठरांत्र (जीआई) पथ को बढ़ने में भी मदद करता है. यह आपके बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है."

यह द्रव आपके बच्चे के फेफड़ों और गुर्दे द्वारा बनाया जाता है. आपका बच्चा इस द्रव को निगलता है और इसे पेशाब के रूप में बाहर निकालता है. बच्चा अपने फेफड़ों में तरल पदार्थ को सांस के साथ भी लेता है. यह द्रव फेफड़ों में हवा की थैलियों को खोलता है और उन्हें बढ़ने में मदद करता है.

भोपाल: एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक गर्भवती महिला और उसके नवजात शिशु को नया जीवन दिया है. दरअसल एक गर्भवती महिला गर्भधारण करने के करीब 6 महीने बाद ही तेज प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी. जब उसने एम्स की ओपीडी में दिखाया, तो डॉक्टरों ने उसे अल्ट्रासांउट कराने की सलाह दी. इस रिपोर्ट में सामने आया कि महिला ओलिगोहाइड्रामनिओस बीमारी (oligohydramnios disease) से जूझ रही थी. ऐसे में गर्भावस्था के दौरान शिशु के आसपास एमनियोटिक द्रव कम हो जाता है, ऐसे में गर्भपात, बच्चे में जन्मजात दोष, समय से पहले जन्म और मृत बच्चा पैदा होने की संभावना रहती है.

जन्म के समय 710 ग्राम था बच्चे का वजन

एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने बताया कि "ओपीडी में देखने के बाद डॉक्टरों ने गर्भवती महिला की जटिलताओं को देखते हुए सिजेरियन ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. जब बच्ची का जन्म हुआ उस समय उसका वजन केवल 710 ग्राम था. नवजात का समय से 2 महीने पहले जन्म होने और महिला के पेट के पानी की थैली में एमनियोटिक द्रव की कमी होने से वो काफी कमजोर था."

एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि "आपरेशन के बाद गर्भवती महिला के साथ करीब 2 महीने तक नवजात का बारीकी से इलाज किया गया. बच्ची को केवल मां के दूध पर पोषण दिया गया और हड्डियों के स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए कैल्शियम टॉनिक भी दिया गया. इसका परिणाम रहा कि 6 महीने की आयु में शिशु ने असाधारण प्रगति दिखाई है. अब उसका वजन 4.9 किलोग्राम हो गया है."

2 महीने पहले जन्मे शिशु को नया जीवन

एम्स डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने बताया कि "एम्स संस्थान ने एक बार फिर चिकित्सा अनुसंधान, नवाचार और स्वस्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता को साबित किया है. हाल ही में, संस्थान में निर्धारित समय से 2 महीने पहले जन्मे एक नवजात शिशु की स्पेशल केयर और एक मां के अटूट समर्पण से कई महत्वपूर्ण चुनौतियों को पार किया. यह बच्ची जून 2024 में गर्भावस्था के केवल 30वें सप्ताह में पैदा हुई थी और उसका जन्म वजन मात्र 710 ग्राम था. जिसे अत्यंत कम जन्म वजन की श्रेणी में रखा जाता है. यह मामला अच्छी चिकित्सा देखभाल, मातृ समर्पण और मां के दूध के अतुलनीय लाभों का प्रतीक है."

इसलिए जरुरी है एमनियोटिक द्रव

एम्स डायरेक्टर के मुताबिक "बच्चे को गर्भ में बढ़ने के लिए एमनियोटिक द्रव की आवश्यकता होती है. यह पानी जैसा द्रव एमनियोटिक थैली (झिल्ली) के अंदर होता है. इसे कभी-कभी पानी की थैली भी कहा जाता है. आपका बच्चा पूरी गर्भावस्था के दौरान इस द्रव में रहता है. यह आपके बच्चे की सुरक्षा करने में मदद करता है और विकास के दौरान उसे हिलने-डुलने और लात मारने में मदद करता है. एमनियोटिक द्रव आपके बच्चे के फेफड़ों, गुर्दे और जठरांत्र (जीआई) पथ को बढ़ने में भी मदद करता है. यह आपके बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है."

यह द्रव आपके बच्चे के फेफड़ों और गुर्दे द्वारा बनाया जाता है. आपका बच्चा इस द्रव को निगलता है और इसे पेशाब के रूप में बाहर निकालता है. बच्चा अपने फेफड़ों में तरल पदार्थ को सांस के साथ भी लेता है. यह द्रव फेफड़ों में हवा की थैलियों को खोलता है और उन्हें बढ़ने में मदद करता है.

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