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भोपाल त्रासदी के 40 साल बाद भी बीमारियां नहीं छोड़ रही पीछा, गैस पीड़ितों का जीना मुश्किल

भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित लोगों में सामान्य मरीजों के मुकाबले समस्याएं ज्यादा पाई जा रही है. संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के आंकड़े में खुलासा.

BHOPAL GAS LEAK TRAGEDY
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल पूरे हुए (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी आज भी लोगों को परेशान कर रही है. एक आंकड़े के अनुसार, सामान्य लोगों के मुकाबले गैस पीड़ितों में डायबिटीज के मामले 5 गुना से ज्यादा सामने आए हैं. इसी तरह से डिप्रेशन से ग्रसित लोगों की संख्या सामान्य लोगों से ढाई गुना ज्यादा है. हाई ब्लड प्रेशर के मरीज भी 3 गुना ज्यादा हैं. यह आंकड़े गैस पीड़ितों के बीच काम कर रही संभावना ट्रस्ट क्लीनिक ने जारी किए हैं.

गैस पीड़ितों को घेर रही नई बीमारियां

सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों ने पिछले 16 वर्षों में क्लिनिक में इलाज कराने वाले 16,305 गैस पीड़ितों और 8,106 सामान्य रोगियों के आकलन के आधार पर आंकड़े प्रस्तुत किए हैं. इसके अनुसार जहां गैस लीक की वजह से हुई बीमारियों की दरें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं. वहीं, कई नई बीमारियां हैं जो सामान्य लोगों की तुलना में गैस पीड़ितों को ज्यादा प्रभावित कर रही है.

गैस पीड़ितों को घेर रही नई बीमारियां (ETV Bharat)

सामान्य रोगियों के मुकाबले गैस पीड़ितों में ज्यादा समस्याएं

क्लिनिक की चिकित्सक डॉ. उषा आर्या के मुताबिक, "गैस पीड़ित रोगियों में प्रचलित बीमारियों का प्रतिशत ज्यादा है. जैसे सांस लेने संबंधी बीमारियां और मानसिक स्वास्थ्य विकार, पिछले 16 वर्षों में काफी अधिक रहा है. इसी तरह गैस पीड़ितों में डिप्रेशन की समस्या सामान्य रोगियों के मुकाबले 2.7 गुना अधिक पायी गई है. शुगर और हाई ब्लड प्रेशर के भी पेशेंट बढ़े हैं. इनमें सामान्य लोगों के मुकाबले शुगर जहां 5 गुना तो हाई ब्लड प्रेशर 3 गुना अधिक पाया गया है."

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किडनी के मामले भी बढ़े

क्लिनिक के चिकित्सक डॉ. रघुरामने कहा, "किडनी से संबंधित बीमारियां, जो संभवतः जहरीली गैस लीक होने के थोड़े समय के बाद ही शुरू हो गई थी, अब गैस पीड़ितों में सामान्य लोगों के मुकाबले 7 गुना ज्यादा पाई जा रही है." स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सोनाली मित्तल ने बताया, "गैस पीड़ित महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति जैसी हार्मोनल स्थितियां सामान्य मामलों से 2.6 गुना अधिक हैं."

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