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माता-पिता को कभी सुना नहीं पर बना उनकी आवाज, मिलिए 5 बरस के वेद से

वेद 5 साल के हैं लेकिन अपने माता पिता की भाषा को बेहतर समझते हैं और उन्हें दूसरों तक पहुंचाने में मदद करते हैं.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

BHOPAL DUMB DEAF COUPLE story
भोपाल में रहने वाले हेमंत और अवनि की कहानी (ETV Bharat)

भोपाल: गुलजार साहब की फिल्म कोशिश याद है आपको, कहानी कुछ वैसी ही है. इस कहानी में बोल सुन पाने से महरुम जोड़े को दुनिया से जोड़ने की कड़ी है 5 साल का एक बच्चा वेद. ये कहानी भोपाल में रहने वाले हेमंत और अवनि की है. दोनों बोल सुन नहीं सकते लेकिन इनका हुनर बोलता है. दुनिया से इनके संवाद की कड़ी बना हुआ है 5 साल का इनका बेटा वेद. 5 बरस की उम्र में साइन लैंग्वेज में अपने माता-पिता से बात करता है और इस मूक बधिर कपल के बीच दुभाषिया (अनुवादक) बन जाता है.

मां के अनकहे को भी सुन लेता है वेद

वेद की मां अवनि अपने बच्चे के कान में कभी मां का लफ्ज फूंक नहीं पाई. अवनि बोल सुन नहीं सकती लेकिन वेद अपनी मां अवनि के अनकहे को सुन भी लेता है और उनकी आवाज बनकर बता भी देता है कि मां क्या कहना चाहती है. 5 बरस के वेद जितनी रफ्तार में माता पिता कि बातें उनके हैंडीक्राफ्ट से प्रभावित होकर आए लोगों को समझाता है. उतनी ही रफ्तार में साइन लैंग्वेज में माता पिता को ये भी बता देता है कि किसे क्या चाहिए.

5 साल के वेद माता पिता से साइन लैंग्वेज में करते हैं बात (ETV Bharat)

'मेरे पापा ने बनाए हैं ये ब्यूटीफुल हैंडीक्राफ्ट'

स्कूल की छुट्टी के दिन माता पिता के साथ शौकिया चले आये वेद को शब्द का पहला संस्कार भले माता पिता से नहीं मिला हो लेकिन इस छोटी उम्र में वेद केवल अल्फाज नहीं जज्बात भी समझता है. पांच साल की छोटी उम्र में जब बच्चे अपना परिचय ठीक से ना दे पाते हों वो पूरे आत्मविशअवास से अपने माता पिता के मूक बधिर होने के बारे में बताता है और फक्र से कहता है ये सारे ब्यूटीफुल हैंडीक्राफ्ट मेरे पापा ने बनाए हैं.

अनुवादक का काम करता है 5 साल का वेद (ETV Bharat)
माता पिता से साइन लैंग्वेज में बात करता है वेद (ETV Bharat)
हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्टस तैयार करते हैं हेमंत और अवनि (ETV Bharat)

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मूक बधिर कपल की कला है 'रचना बिंदु'

रचना बिंदु के नाम से हेमंत और अवनि अपना हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्टस तैयार करते हैं. जिसमें कपड़े पर एम्ब्राइडरी से तैयार की गई घड़ियां भी हैं और डायरियां भी. क्रोशिए का रंग भी हैं और डेकोरेटिव आइटम भी. यूं हेमंत और अवनि ने दुनिया से संवाद के लिए एक कार्ड छपवा रखा है जो वो हर आने जाने वाले को देते हैं. बाकी इनका बेटा वेद तो एक मजबूत कड़ी है ही. जिसने माता पिता को कभी नहीं बोलते सुना. उसने बिना सुने बोलना भी सीखा है और सबसे बेहतर अपने माता पिता को सुन पा रहा है. छुट्टी के दिनों में माता पिता के साथ मौज मस्ती के लिए आने वाला वेद पूरे दिन अपने माता पिता का दुभाषिया बन जाता है.

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