भोपाल। राजधानी भोपाल की रहने वाली सौम्य तिवारी अब नाम की मोहताज नहीं है, लेकिन जब इनकी सोच को जानेंगे तो आप भी इस लड़की को सैल्यूट किए बिना नहीं रह सकते. आपको सुनकर बड़ा आश्चर्य होगा कि सौम्या ने जब क्रिकेट मैदान में जाना शुरू किया, तो उसको पता चला कि अच्छा टैलेंट किस तरह से पैसे और संसाधन के अभाव में गुमनामियों में गुम हो जाता है. तभी से उसने ठान लिया था कि यदि मैं क्रिकेटर बन गई तो मैं अपनी कमाई से उन लोगों को क्रिकेट की ट्रेनिंग दूंगी. जिनके पास टैलेंट तो है, लेकिन पैसा नहीं है और इस पैसे की कमी के चलते वो ऊंचाइयां नहीं छू पाते.
सौम्य एक जाना पहचाना नाम बन चुकी है. 11 साल की उम्र में सौम्या ने सोचा भी नहीं था कि वो कभी क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाएगी, लेकिन आज वो एक क्रिकेट चैंपियन है. मन में वो जज्बा था कि यदि मैं कुछ बन गई तो उन प्रतिभाओं के लिए कुछ करेगी जो इसकी हकदार हैं. महिला दिवस के इस खास मौके पर भोपाल से ईटीवी भारत के संवाददाता सरस्वती चंद्र ने सौम्या तिवारी से की खास बातचीत.
5 लड़कियों को अपने पैसे से दिलाएगी ट्रेनिंग
सौम्या तिवारी ने तय किया था कि वे पांच ऐसी लड़कियों को अपनी मिलने वाली राशि से उन्हें ट्रेनिंग दिलाएंगी. सौम्या ने बताया कि अभी वो एक अनाथ लड़की के लिए खुद की कमाई राशि से ट्रेनिंग दिला रही है. उसकी फीस से लेकर जो भी जरूरत होती है. तमाम तरह की फैसिलिटी दिलाने के लिए सौम्या अपने पैसे से पूरी कर रही हैं. सौम्या ने पूरा किट दिलाया. अभी इनके पास सिर्फ एक लड़की है, लेकिन इन्होंने निश्चय किया है कि पांच लड़कियों को वे क्रिकेटर बनाएंगी. सौम्या ने अपने मां बाप को बताया कि वे अपनी होने वाली कमाई से बच्चियों को ट्रेनिंग दिलाना चाहती हैं. ये सुनकर इनके परिवार ने खुशी-खुशी हामी भर दी और जब कोच को पता चला तो कोच भी बहुत खुश हुए.
कौन है सौम्या तिवारी
सौम्या तिवारी भोपाल के गौतम नगर में रहने वाली है. इनके पापा सरकारी कर्मचारी हैं, लेकिन पापा भी अपना वक्त निकालकर बेटी के लिए समय देते हैं. पूरा सपोर्ट करते हैं, हालांकि सौम्या का कहना है कि उन्होंने शौकिया तौर पर क्रिकेट खेलना शुरू किया था और आज उनको भी आश्रचर्य होता है कि वे महिला अंडर-19 की बेहतरीन खिलाड़ी है. आपको बता दें की बीसीसीआई ने हाल ही में सौम्या को देश की सर्वश्रेष्ठ जूनियर महिला क्रिकेटर जगमोहन डालमिया ट्रॉफी से सम्मानित किया है.