भिवानीः छोटी काशी भिवानी के साधु-संत 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच होने वाले महाकुंभ की तैयारियों में जुट गए है. महाकुंभ के लिए लगभग सभी गद्दियों से जुड़े साधु-संत 10 जनवरी को भिवानी से प्रयागराज के लिए प्रस्थान करेंगे. महाकुंभ के दौरान तीन मुख्य स्नान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी के दिन है. स्नान के बाद सभी संत-महात्मा वापस अपने आश्रमों में लौट जाएंगे. ये बात जूना अखाड़ा के श्रीमहंत अशोक गिरी महाराज ने भिवानी में बाबा जहर गिरी की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित भंडारे और संत समागम के दौरान कही.
देवासुर संग्राम में जुड़ा हुआ है महाकुंभःमहाकुंभ के भव्य आयोजन को लेकर जूना अखाड़ा के श्रीमहंत अशोक गिरी ने बताया कि "ये 12 वर्षों में लगने वाला विशेष महाकुंभ है. इसका महत्व देवासुर संग्राम में जुड़ा हुआ है. समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों के बीच अमृत को लेकर युद्ध मचा हुआ था, तब प्रयागराज में अमृत को छुपाया गया था. उसकी कुछ बूंदें यहां पड़ी थी. इस कारण प्रयागराज का विशेष महत्व है. अमृत की रक्षा करने में इस स्थान को विशेष महत्व दिया जाता है. प्रयागराज को तीर्थों का राजा भी कहा जाता है, जिस कारण इसकी महत्ता अन्य तीर्थों से अधिक है."