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बैतूल में अयोध्या के राम रूप में विराजे गणेशजी, 40 फीट ऊंचे मंदिर में स्थापित अद्भुत झांकी - Betul Ganesh Utsav

बैतूल में एक अद्भत गणेश प्रतिमा स्थापित की गई है. 40 फीट ऊंचे मंदिर में अयोध्या के भगवान रामजी की तर्ज पर गणेश प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर में अयोध्यावासी राम के रूप में विराजी गणेश प्रतिमा पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र बनी है.

BETUL GANESH UTSAV
बैतूल में अयोध्या के राम रूप में विराजे गणेशजी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 15, 2024, 11:46 AM IST

बैतूल:जिले में अयोध्या के राम रूप में विराजे भगवान श्रीगणेश आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. यहां 40 फीट ऊंचे मंदिर में स्थापित झांकी को देखने हर दिन सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं. इस प्रतिमा की चर्चा चारों तरफ हो रही है.

अयोध्या के रामजी की तर्ज पर विराजे गणेश जी

बैतूल के नवयुवक नवज्योति गणेश मंडल लोहिया वार्ड द्वारा लगातार 35वें वर्ष गणेश उत्सव का पर्व उत्साह के साथ मनाया रहा है. इस बार मंडल के कार्यकर्ताओं ने 15 फीट ऊंचे अयोध्या में विराजे भगवान श्रीराम की प्रतिरूप भगवान श्रीगणेश की विशाल प्रतिमा स्थापित की है. इस प्रतिमा को स्थापित करने के पूर्व मंडल द्वारा सारणी के कुशल कलाकार बबलू खान और साथियों द्वारा 10 दिन पहले से भगवान श्रीगणेश का विशाल मंदिर तैयार किया गया है. इस मंदिर में अयोध्यावासी राम के रूप में विराजी गणेश प्रतिमा पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र बनी है.

एक माह में तैयार की गणेश प्रतिमा

मंडल समिति के संरक्षण दीपक शर्मा और अध्यक्ष नंदू मामा ने बताया कि गणेश मंडल द्वारा हर वर्ष परिपाटी के अनुसार अलग-अलग प्रकार की प्रतिमा स्थापित की जाती है. इस बार जो प्रतिमा स्थापित की गई है, वह अब तक की सबसे ऊंची प्रतिमा है. उन्होंने बताया कि अयोध्या में विराजे भगवान राम सबके आदर्श हैं. ऐसे में सभी कार्यकर्ताओं ने मिलकर अयोध्यावासी राम के रूप में श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित की है. यह प्रतिमा खंजनपुर के उम्दा मूर्तिकार आशीष प्रजापति ने एक माह में तैयार की है.

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मंदिर में लगाया विशाल घंटा

मंडल के उपाध्यक्ष हर्ष मालवीय ने बताया कि 'राम रूप में विराजे श्रीगणेश की झांकी तैयार करने के लिए सारणी के कलाकारों ने दस दिन का समय लिया. इसके लिए 80 हजार रुपए खर्च किए गए. उन्होंने बताया कि 40 फीट ऊंचे मंदिर में विशाल घंटा भी लगाया गया है. श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस घंटे को बजाते हैं.' समिति के संतोष सोनपुरे ने बताया कि शाम ढलने के बाद नयनाभिराम प्रतिमा के दर्शन करने के लिए न सिर्फ शहर बल्कि आसपास के ग्रामीण अंचलों से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

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