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बिहार के इस शहर में 16वीं शताब्दी में ही शुरू हो गया था 'मॉल कल्चर', सुई से लेकर जहाज तक की होती थी बिक्री - Bettiah Meena Bazaar - BETTIAH MEENA BAZAAR

Mall Culture In Bettiah: समय के साथ सभी कुछ मॉडर्नाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में आजकल की पीढ़ी शॉपिग मॉल से खरीदारी करना ज्यादा पसंद करते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि बिहार के बेतिया में एक ऐसी जगह है, जहां इस मॉल कल्चर की शुरुआत 16वीं शताब्दी में ही हो गई थी. यहां जानें क्या-कुछ मिलता है इस संस्कृति मॉल में?

Mall Culture in Bettiah
बेतिया का मॉल क्लचर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 31, 2024, 1:32 PM IST

बेतिया में मॉल कल्चर (ETV Bharat)

बेतिया: आधुनिकता के इस दौर में मॉल की परंपरा तेजी से बढ़ती जा रही है. आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि बेतिया महाराज दिलीप सिंह ने 16वीं शताब्दी में ही संस्कृति मॉल की नींव रख दी थी. लगभग 330 साल पहले ही लोगों की जरूरत को देखते हुए बेतिया महाराज ने मॉल कल्चर को बढ़ावा दिया था. इसके लिए शहर में मीना बाजार की स्थापना की गई और मॉल कल्चर को महाराजा हरेंद्र किशोर ने रंग रूप दिया.

16वीं शताब्दी का मीना बाजार (ETV Bharat)

एक छत के नीचे 3000 दुकानें: कहा जाता है कि बेतिया के इस जगह पर एक ही छत के नीचे सभी जरूरत की चीजों की बिक्री होती थी. आज भी जिले के किसी भी घर में शादी-ब्याह या महत्वपूर्ण उत्सव होता है तो खरीदारी के लिए जेहन में सबसे पहले मीना बाजार की याद आती है. अभी भी इस बाजार में एक ही छत के नीचे लगभग तीन हजार दुकानें हैं.

तकरीबन 330 वर्ष पहले हुई शुरुआत (ETV Bharat)

ब्रिटिश काल में भी जारी रहा बाजार:बेतिया महाराज दिलीप सिंह ने साल 1694-1715 शहर के दक्षिणी हिस्से में ऐसे बाजार की शुरुआत की थी, जहां एक ही छत के नीचे सभी सामान मिलता हो. महाराज के जो भी अतिथि आते थे, वो बाजार में भ्रमण और खरीदारी करने जरूर जाते थे. राजा का प्रभुत्व समाप्त होने के बाद ब्रिटिश काल में भी बाजार की रौनक बरकरार रही. कई राज्यों के व्यापारी यहां से सामान की खरीद-बिक्री करने आते थे. पेयजल के लिए बाजार के बीच कुआं था, जो आज भी मौजूद है.

एक छत के नीचे कई दुकान (ETV Bharat)

बाजार में प्रवेश के लिए चार द्वार: जानकार बताते हैं कि इस मीना बाजार की ख्याति नेपाल के अलावा कई राज्यों में थी, वहां के व्यापारी भी यहां आते थे. कई सामान दूसरे राज्य से लाकर यहां बेचा जाता था. बाहरी व्यापारी यहां से अनाज सहित अन्य उपयोगी सामग्री खरीदकर ले जाते थे. सफाई के लिए महाराज की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति रहती थी. रोशनी के लिए जगह-जगह दीप जलाए जाते थे. बाजार में प्रवेश के लिए चारों दिशाओं से द्वार बनाए गए थे. इनमें से कई निशानियां आज भी मौजूद हैं.

नेपाल और कई राज्यों में बाजार की ख्याति (ETV Bharat)

मीना बाजार में मिलगी जरूरत की सभी चीज: मीना बाजार के पुराने दुकानदार और स्थानीय लोगों का कहना है कि बेतिया का मीना बाजार आज के किसी भी मॉल से ज्यादा संपन्न है. फर्क सिर्फ इतना है कि आज के मॉल बहुमंजिला, रोशनी से जगमग और आकर्षक हैं. जबकि मीना बाजार में इसकी कमी है. यहां कपड़े, जूते-चप्पल, बर्तन, सोने-चांदी, पुस्तके, दवा, जड़ी-बूटी, बांस की सामग्री, किसानों के लिए हसुआ-खरपी, खाद्य पदार्थ, अनाज मंडी, साग-सब्जी, फर्नीचर, मवेशियों के उपयोग और पूजा-पाठ की सामग्री की विक्री के लिए अलग-अलग शॉप बनाए गए है.

लोगों की जरूरतों के लिए बना मॉल कलचर (ETV Bharat)

ऐतहासिक धरोहर की हालत जर्जर: इस बाजार में लोग जन्म से लेकर शादी तक और शादी से लेकर श्रद्धा तक का सामान एक ही छत के नीचे खरीद सकते हैं. वहीं कुछ दुकानदारों की माने तो धीरे-धीरे बाजार में कई कमियां आ रही है. आज बाजार की छत जर्जर हो गई है. स्थिति पहले जैसे नहीं रही, इसमें सुधार की जरूरत है. सरकार की ओर से मीना बाजार पर ध्यान देना चाहिए, ये एक ऐतहासिक धरोहर है.

कपड़ों में है कई वैरायटी (ETV Bharat)

"यहां की हालत समय के साथ ज्यादा खराब हो गई है, शॉप के छत जर्जर हो गए हैं. इस पर जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बेतिया के इस ऐतिहासिक मीना बाजार को बचाया जा सके और आने वाली पीढ़ी इस मीना बाजार के इतिहास के बारे में जाने सकें."- दुकानदार

यहा मिलती है सभी जरुरत चीजें (ETV Bharat)
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