बाराबंकी: पिछले दस दिनों से चल रहा बाराबंकी के ऐतिहासिक देवां मेले का रविवार की रात इको-फ्रेंडली आतिशबाजी कॉम्पटीशन के साथ समापन हो गया. देवां मेला में अंतिम दिन होने वाली आतिशबाजी प्रतियोगिता मेले की खास आकर्षण मानी जाती है. इस आतिशबाजी में कई आतिशबाज अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. जीतने वाले आतिशबाजों को पुरस्कार भी दिया जाता है. इस अनोखी अतिशबाजी कॉम्पटीशन को देखने के लिए बाराबंकी जिले के ही नहीं आसपास के कई जिलों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी थी. आतिशबाजी के एक से एक रंग देखकर लोग दंग रह गए
बताते चलें, कि मशहूर सूफी संत सैयद हाजी वारिस अली शाह के पिता कुर्बान अली शाह की याद में हर वर्ष दीवाली से पहले लगने वाले दस दिनों के इस मेले का रविवार की रात समापन हो गया. परम्परा के अनुसार देवां मेला का शुभारम्भ जहां जिलाधिकारी की पत्नी द्वारा किया जाता है, तो समापन पुलिस अधीक्षक की पत्नी द्वारा आतिशबाजी की शुरुआत कर किया जाता है. लेकिन, इस बार किन्ही कारणों से जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने आतिशबाजी कॉम्पटीशन का शुभारंभ किया.
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गौरतलब हो, कि देवां मेला की आतिशबाजी कॉम्पटीशन मेले का खास आकर्षण है. यही वजह है, कि बाराबंकी जिला ही नहीं लखनऊ, कानपुर, हरदोई, उन्नाव,सीतापुर,बहराइच, गोंडा, रायबरेली,अमेठी और सुल्तानपुर समेत कई जिलों के लोग इस खास कॉम्पटीशन को देखने आते हैं. आतिशबाजी की इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले आतिशबाज अपनी आतिशबाजी का शानदार प्रदर्शन करते हैं. विजयी अतिशबाजों को पुरस्कृत भी किया जाता है.
देवां मेला के हॉकी ग्राउंड में होने वाले इस अनोखे कम्पटीशन के लिए आतिशबाज कई घंटे पहले से ही तैयारी रहते हैं. इस बार की आतिशबाजी कॉम्पटीशन में 06 प्रतियोगियों ने अपनी शानदार आतिशबाजी का प्रदर्शन किया है. जिसमें, पिछले कई वर्षों से जीत का परचम लहराने वाले बाराबंकी शहर के पीरबटावन निवासी मशहूर आतिशबाज मो. आजम ने इस बार फिर बाजी मार ली.
मो. आजम को 27 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया. जबकि दूसरे नम्बर पर जैदपुर निवासी आतशबाज गुलाम वारिस रहे, जिन्हें 21 हजार रुपये और तीसरे नम्बर पर आने वाले मो. कादिर को 16 हजार रुपये देकर पुरस्कृत किया गया. जबरदस्त भीड़ देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात किया जाता है. किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए फायर बिग्रेड की कई गाड़ियां और तमाम कर्मचारी मुस्तैद रहते हैं.
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