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मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में बाहर से फूल माला और प्रसाद लाने पर लगी रोक, जानें वजह - DWARKADHISH TEMPLE

मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में बाहर से सामग्री फूल माला और प्रसाद लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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मथुरा द्वारकाधीश मंदिर (pic credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 5, 2025, 7:53 PM IST

मथुरा: पुष्टिमार्ग संप्रदाय के प्रमुख मंदिर द्वारकाधीश में रविवार को बाहर से सामग्री फूल माला और प्रसाद लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मंदिर के अंदर ही ठाकुर जी के लिए प्रसाद की सामग्री मिलेगी और सर्दी के मौसम में ठाकुर जी को फूल माला नहीं चढ़ाई जाएगी. क्योंकि फूल ठंडा होने के कारण बाल स्वरूप में ठाकुर जी को सर्दी लग सकती है. इसलिए मंदिर प्रशासन ने बाहर की सामग्री लाने पर प्रतिबंध लगाया है.

बाहर सामग्री पर लगा प्रतिबंध :पुष्टिमार्ग संप्रदाय के प्रमुख मंदिर मथुरा शहर के द्वारकाधीश में बाहर की सामग्री फूल माला प्रसाद आदि लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मंदिर परिसर के अंदर ही ठाकुर जी के लिए भोग सामग्री बनाई जाती है. इसका विशेष ध्यान रखा जाता है. जो भी सेवायत भोजन बनाने में लगे हुए हैं वह किसी अन्य व्यक्ति से स्पर्श न हो, इसका ध्यान रखा जाता है. नहीं तो वह खंडित हो जाएगा. पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिरों में ठाकुर जी की बाल स्वरूप में सेवा होती है. इस दौरान विशेष ध्यान दिया जाता है कि ठाकुर जी को सर्दी के मौसम में गर्म व्यंजन खिचड़ी हलवा और केसरदार खीर का भोग लगे.

मंदिर सेवायत राकेश तिवारी ने दी जानकारी (video credit- ETV Bharat)

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सेवायत बिना सिले हुए कपड़े पहनते हैं:द्वारकाधीश मंदिर के सेवायत ठाकुर जी की सेवा के करने के दौरान बिना सिले हुए कपड़े धारण करते हैं. किसी भी व्यक्ति का स्पर्श नहीं होने देते. द्वारकाधीश में ठाकुर जी के लिए वर्षा ऋतु के साथ गर्मी और सर्दी का एहसास भी कराया जाता है. सर्दी के मौसम में ठाकुर जी रजाई ओढ़ कर और अंगीठी जलाकर मंदिर में रखी जाती है, ताकि ठाकुर जी को सर्दी ना लगे. गर्मी के मौसम में ठाकुर जी के लिए ठंडे वस्त्र पहनाए जाते हैं.

राकेश तिवारी मंदिर सेवायत ने बताया पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिर में बाहर की वस्तु फूल माला प्रसाद की सामग्री नहीं लाई जाएगी. मंदिर के अंदर ठाकुर जी का बना हुआ प्रसाद ही ग्रहण कराया जाएगा. जब मंदिर रसोई में सेवायत प्रसाद ठाकुर जी के लिए बनाते हैं, तो किसी भी व्यक्ति को स्पर्श नहीं करते. भोग बनने के बाद 40 मिनट तक ठाकुर जी को भोग रखा जाता है. मंदिर प्रशासन की ओर से रविवार को बाहर की सामग्री लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.

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