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बिहार की 20 लाख छात्राएं माहवारी के समय छोड़ देती हैं क्लास, ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में सच आया सामने

बिहार में करीब 20 लाख छात्राएं माहवारी के समय क्लास छोड़ देती हैं. ऐसा वे मस्ती या शौक में नहीं बल्कि मजबूरी में करती हैं.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

SANITARY PADS IN BIHAR
बिहार के सरकारी स्कूलों में सेनेटरी पैड (ETV Bharat)

पटना: बिहार में करीब 80 हजार सरकारी स्कूल हैं. इनमें से 7 से 12 क्लास तक की लगभग 20 लाख छात्राएं मासिक धर्म के समय स्कूल नहीं जा पाती हैं. शहरी क्षेत्र में थोड़ी जागरूकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में हालात आज भी खराब है.

ईटीवी भारत की जांच में सच आया सामने:आखिर सरकारी स्कूलों में माहवारी के समय छात्राओं को सेनेटरी पैड मिलता है या नहीं. इसकी तफ्तीश के लिए ईटीवी भारत संवाददात कृष्णनंदन एक सरकारी स्कूल पहुंचे. जब उन्होंने यहां की जांच की तो सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन बंद पड़ी मिली.

ईटीवी भारत की जांच में सच आया सामने (ETV Bharat)

बंद पड़ी हैं सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन: बता दें कि महिला एवं बाल विकास निगम ने साल 2023 के जून महीने में पैसे देकर सभी जिलें के डीएम के माध्यम से कुछ स्कूलों को चिह्नित कर सेनेटरी पैड मशीन लगवाई गई थी. यह मशीन जिला शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से पटना में भी बालिकाओं के विद्यालय और कोएड स्कूलों में लगाया गया था, लेकिन अधिकांश सरकारी विद्यालयों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन निष्क्रिय हालत में है.

नीतीश सरकार के ऐलान का भी नहीं हुआ असर: साल 2023 में नीतीश सरकार ने मीडिल और हाईस्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को पीरियड के दौरान सेनेटरी पैड वितरित करने की घोषणा की थी. लड़कियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए स्कूलों में सहेली कक्ष बनाने का ऐलान किया गया. जिसमें सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाए गए, ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल बच्चियां कर सकें. लेकिन इन सबके बावजूद आज भी पीरियड के दौरान छात्राओं को स्कूल में परेशानी होती है.

सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन (ETV Bharat)

सेनेटरी पैड के लिए सालाना ₹300:शिक्षा विभाग की ओर से सरकार के निर्देश पर आठवीं कक्षा और उसके ऊपर की छात्राओं को किशोरी स्वास्थ्य योजना के माध्यम से सालाना ₹300 सेनेटरी पैड नैपकिन के लिए दिया जाता है. स्कूल में छात्राओं और शिक्षिकाओं को माहवारी के समय इमरजेंसी के लिए सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगवाने का निर्देश दिया गया था.

5 रुपये में एक पैड: सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन में ₹5 का सिक्का मशीन में डालने पर एक पैड निकलकर सामने आ जाता है. लेकिन ईटीवी भारत के ग्राउंड रिपोर्ट में पता चला कि सरकार की ओर से चिह्नित करके कुछ स्कूलों में जहां सेनेटरी पैड मशीन और डिस्पोजल मशीन लगाई गई वह मेंटेनेंस के अभाव में खराब पड़ी हुई है.

मिलर हाई स्कूल का ग्राउंड रिपोर्ट:पटना के मिलर हाई स्कूल की बात करें तो ईटीवी भारत की पड़ताल में यहां सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन बंद मिली. स्कूल के प्राचार्य मदन बिंद ने बताया कि स्कूल में रंग रोगन का काम चल रहा है. इलेक्ट्रिसिटी की टूटी हुई वायरिंग को दुरुस्त कराया जा रहा है. इसके कारण अभी इलेक्ट्रिसिटी की सप्लाई नहीं होने के कारण सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन बंद पड़ी हुई है.

मदन बिंद ,प्राचार्य,मिलर हाई स्कूल (ETV Bharat)

"दो-तीन दिनों से यह बंद है और दो-तीन दिनों में रंग रोगन का काम पूरा होने के बाद वेंडिंग मशीन काम करने लगेगी. समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग होती है और पैड डाले जाते हैं. हालांकि यहां सैनिटरी पद के डिस्पोजल के लिए इंसीनेटर मशीन का इंस्टालेशन नहीं हुआ है."-मदन बिंद ,प्राचार्य,मिलर हाई स्कूल

बांकीपुर गर्ल्स स्कूल में निशुल्क पैड: पटना के बांकीपुर गर्ल्स स्कूल में पता चला कि तीन वेंडिंग मशीन लगे हुए हैं. स्कूल काफी बड़ा है और यहां कक्षा 6 से 12 तक के 2000 के करीब छात्राएं पढ़ाई करती हैं. सेनेटरी पैड के तीन वेंडिंग मशीन में एक मशीन एनजीओ की ओर से लगाई गई है, जहां निशुल्क बच्चियों को सेनेटरी पैड उपलब्ध हो रहा है. हाल ही में इसे लगाया गया है. ₹5 डालकर सेनेटरी पैड निकलने वाला वेंडिंग मशीन विद्यालय में दो लगे हुए हैं जिसमें एक खराब है और एक कार्यरत स्थिति में है.

छात्राओं का क्या कहना है: बांकीपुर बालिका उच्च विद्यालय की 11वीं कक्षा की साइंस स्ट्रीम की छात्रा सिया भारती ने बताया कि आमतौर पर माहवारी के समय वह एक्स्ट्रा सेनेटरी पैड नैपिंग लेकर चलती हैं. वहीं एक अन्य छात्रा शिवन्या ने स्कूल की व्यवस्थाओं पर संतुष्टि जतायी है.

"कभी स्कूल में इमरजेंसी सिचुएशन आ जाती है तो ₹5 डालकर सेनेटरी पैड निकाल लेती हूं. फिलहाल इन दिनों मैं और मेरी सहेलियां निशुल्क वाले वेंडिंग मशीन का उपयोग कर रहे हैं."-सिया भारती, छात्रा

"विद्यालय में जब से नामांकन हुआ है, मुझे यहां सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन से पैड मिल रहा है. जब जरूरत पड़ती है तो अपने क्लास टीचर से भी कहती हूं. निशुल्क सेनेटरी पैड मिल जाता है."-शिवन्या राज, छात्रा

क्लास टीचर भी उपलब्ध कराती हैं पैड:पटना के बांकीपुर गर्ल्स स्कूल की प्राचार्या किरण कुमारी ने बताया कि उनके विद्यालय में दो वेंडिंग मशीन फंक्शनल हैं. हाल ही में एक एनजीओ की ओर से निशुल्क सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन का इंस्टॉलेशन हुआ है. ऐसे में बच्चियाम अभी-अभी इसका इस्तेमाल कर रही हैं. इसके अलावा अलग-अलग संस्थाओं की ओर से विद्यालय को पैड उपलब्ध होते हैं क्योंकि यह बालिका विद्यालय है.

"हर क्लास टीचर के पास पैड होते हैं और जरूरत पड़ने पर बच्चियां सीधे अपने क्लास टीचर से कहती हैं और उन्हें पैड उपलब्ध करा दिया जाता है. बच्चियों के पर्सनल हाइजीन को लेकर शिक्षित करने पर विशेष जोर रहता है. बीते कुछ वर्षों में माहवारी स्वच्छता को लेकर बच्चियों में काफी अधिक जागरूकता आई है और जागरूकता के कारण बच्चियां बीमार कम पड़ रही हैं. बच्चियों की विद्यालय में उपस्थित अच्छी है."-किरण कुमारी,प्राचार्या

किरण कुमारी,प्राचार्या (ETV Bharat)

इन विद्यालयों में वेंडिंग मशीन खराब: वहीं पटना के दीघा स्थित इंद्रप्रस्थ गंगस्थली बालिका उच्च विद्यालय और पटना कॉलेजिएट स्कूल में सेनेटरी पैड मशीन खराब पड़ा हुआ है. वहां के प्रधानाचार्य ने जानकारी दी कि जल्द ही मशीन को ठीक करा दिया जाएगा. बच्चियों की स्वास्थ्य विद्यालय की प्राथमिकता में है.

5 रुपये में एक पैड (ETV Bharat)

बच्चिों को लेना पड़ता है इमरजेंसी लीव: इन विद्यालयों की बच्चियों ने जानकारी दी की पहले ₹5 में पैड मिल जाता था, लेकिन अब माहवारी होने पर आकस्मिक छुट्टी लेकर घर जाना पड़ता है. वहीं पड़ताल में यह भी पता चला कि अधिकांश विद्यालयों में किसी एनजीओ या अन्य सामाजिक संस्था की ओर से भी सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन का इंस्टालेशन तो हुआ है लेकिन इनके डिस्पोजल के लिए इंसीनरेटर का इंस्टालेशन नहीं है. कई विद्यालयों में तो इंसीनरेटर मशीन के बारे में शिक्षकों के बीच जागरूकता की कमी दिखी.

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