अनूपपुर (अखिलेश शुक्ला):इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है. 144 साल बाद ऐसा संयोग बना है इसलिए देश-विदेश से लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. ऐसा माना जाता है की मां गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं. आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे ही गज (हाथी की प्रतिमा) की कहानी बताने जा रहे हैं, जहां जाने पर लोग अपने पाप-पुण्य का टेस्ट जरूर करते हैं. एक तरह से इस गज को 'पाप मापी यंत्र' कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि जो भी यहां जाता है ये टेस्ट करने से खुद को नहीं रोक पाता है.
कहां मौजूद है 'पाप मापी यंत्र'?
शहडोल संभाग भले ही आदिवासी बाहुल्य संभाग है, लेकिन संभाग के हर जिले में कई ऐसे अद्भुत दर्शनीय धार्मिक स्थल हैं, जिनकी कहानियां दूर-दूर तक प्रचलित हैं. जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. इन्हीं में से एक है अनूपपुर जिले का अमरकंटक, जो मां नर्मदा के उद्गम स्थल के कारण भी जाना जाता है. यहीं पर मौजूद है वो गज जिसकी कहानी अद्भुत है. जो भी अमरकंटक में मां नर्मदा के दर्शन को जाता है, इस गज के माध्यम से अपने पाप-पुण्य का टेस्ट जरूर करता है. सैकड़ों-हजारों साल से ये गज पाप-पुण्य का पैरामीटर बना हुआ है.
इज गज को माना जाता है पाप मापने का पैरामीटर (ETV Bharat) कैसे करते हैं टेस्ट?
शहडोल संभागीय मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर अनूपपुर जिले के अमरकंटक से नर्मदा नदी का उद्गम होता है. मां नर्मदा का जहां से उद्गम हुआ है, वहां एक कुंड बना है और नर्मदा मैया का मंदिर बना हुआ है. वहीं, पास एक छोटा सा गज भी मौजूद है, जिसके बारे में एक खास मान्यता है. कहा जाता है कि इस गज के पैरों के बीच से जो निकल जाता है वह पाप मुक्त होता है और जो नहीं निकल पाता है वह पापयुक्त होता है. ये भी कहा जाता है कि कई मोटे लोग भी बड़े आराम से पैरों के बीच से निकल जाते हैं. वहीं, कई सामान्य लोग भी नहीं निकल पाते हैं.
अमरकंटक स्थित नर्मदा कुंड (ETV Bharat) कैसे स्थापित हुआ ये गज?
पुरातत्वविद और इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि "पहले का जमाना राजा-रजवाड़ा का जमाना था, कलचुरी पीरियड चल रहा था. इस पीरियड में जब भी यहां के किसी राजा ने महल, किले या कोई मंदिर बनवाया तो उसके दरवाजे बड़े मजबूत बनाए जाते थे. उन दरवाजों पर ऐसे ही गजों की स्थापना की जाती थी. इनमें से कोई गज के नाम से कोई अश्व नाम से तो कोई सिंह के द्वार के नाम से जाना जाता था. वहीं से ये गज स्थापित हुआ."
नर्मदा कुंड मंदिर में स्थापित गज की मूर्ति (ETV Bharat) खास अंदाज में बना है ये गज
रामनाथ परमार बताते हैं कि "यह जो गज है वो भी विशेष बनाया गया है. ये गज चलायमान स्थिति में बनाया गया है. इसमें से निकलने के लिए भी तकनीक है पहले आप अपने हाथ निकालें, फिर अपने स्कंद वाले भाग को जाने दें और हल्का सा तिरछा होकर निकलें तो कितना भी मोटा आदमी हो वो निकल जाता है. दुबले पतले तो सामान्य तौर पर निकल ही जाते हैं. ये उस स्थान की विशेषता भी है और लोगों को अपने पाप-पुण्य का पैरामीटर भी मिल गया."