पटना:पिछले एक दशक में पूरे देश में 80 से अधिक प्रतियोगिता परीक्षाओं और अन्य परीक्षाओं में पेपर लीक की बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. नीट जैसी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के बाद केंद्र सरकार ने भी कानून बनाया है और बिहार सरकार भी सख्त कानून बनाने जा रही है. ऐसे देश के अधिकांश बड़े राज्यों में प्रश्न पत्र की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन 10 राज्यों में ही पेपर लीक रोकने को लेकर कानून है और उसमें से भी तीन राज्य में सख्त कानून बनाए गए हैं.
केंद्र सरकार के कानून में क्या है:नेट-यूजीसी यूपीएससी, एसएससी, रेलवे भर्ती, बैंकिंग जैसे परीक्षाओं की पेपर लीक करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एंटी पेपर कानून बनाई है, जिसे सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024 नाम दिया गया है. इस साल के फरवरी महीने में इस कानून को पारित किया गया था और जून में इसे लागू किया गया है.
कानून में क्या है प्रावधान?:कानून के मुताबिक, पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने के बाद व्यक्ति को 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. दूसरे कैंडिडेट के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को 3 से 5 साल की जेल होगी और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा. इसके अलावा अगर परीक्षा में गड़बड़ी मामले में किसी संस्थान का नाम सामने आता है तो उस संस्थान से परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा। वहीं, संस्थान की संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है.
देश के विभिन्न राज्यों में बने कानून: नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2024 में देश में कानून लागू किया है. गुजरात और उत्तराखंड में 2023, छत्तीसगढ़ में 2008, झारखंड में 2001, यूपी में 1998, आंध्र प्रदेश और
तेलंगाना में 1997, ओडिशा में 1988 और महाराष्ट्र में 1982 में पुराने नकल रोकने का कानून हैं, जो अपेक्षाकृत नरम है.
तीन राज्य में नरम कानून: उदाहरण के लिए तीनों राज्यों के नए कानून में जहां अपराधियों के लिए 10 साल कैद से आजीवन कारावास और एक करोड़ से 10 करोड़ रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है. वहीं पुराने कानून में एक से 7 साल तक की सजा और चंद हजार रुपयों के जुर्माने का ही प्रावधान है.
यह राज्य भी पेपर लीक से अछूते नहीं: कश्मीर से लेकर केरल तक और गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक लगभग सभी राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं सामने आईं. राजस्थान और गुजरात में तो बीते चार पांच वर्षों में 13 से 14 पेपर लीक के मामले सामने आए हैं. राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग से लेकर राज्यों के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, भर्ती बोर्ड भी पेपर लीक की घटना से अछूता नहीं रह गया है.
उत्तराखंड अधिनियम में पहले अपराध के लिए 3 साल जेल की सजा का प्रावधान है. दोषसिद्धि के बजाय चार्जशीट दायर करने पर ही परीक्षार्थी को दो से पांच साल के लिए राज्य प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित कर दिया जाता है. गुजरात और राजस्थान के कानून भी उम्मीदवारों को दो साल के लिए परीक्षाओं में बैठने से रोकते हैं, लेकिन वह भी दोष सिद्ध होने के बाद.
विभिन्न राज्यों में कानूनों का दायरा अलग-अलग :उत्तराखंड और राजस्थान में कानून केवल राज्य सरकार के किसी विभाग में भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होते हैं. अन्य 8 राज्यों में ये कानून शैक्षणिक योग्यता जैसे डिप्लोमा और डिग्री प्रदान करने के लिए शैक्षिक संस्थानों द्वारा आयोजित परीक्षाओं पर भी लागू होते हैं. उदाहरण के लिए, गुजरात में, गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाएं भी गुजरात सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2023 के अंतर्गत आती हैं.
उत्तर प्रदेश में भी होते रहे हैं पेपर लीक: उत्तर प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा एग्जाम होगा जिसका पर्चा लीक न हुआ हो. 2017 मे दारोगा भर्ती परीक्षा रद्द हुआ. 2018 में Uppcl की JE भर्ती परीक्षा निरस्त, 2018 में हीं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की 14 विभागों की group c की परीक्षा रद्द हुई, 2018 में हीं नलकूप ऑपरेटर परीक्षा पर्चा रद्द हुई, 2021 में upsssc pet और Uptet का पेपर लीक हुआ परीक्षा रद्द हुई और 2022 में up बोर्ड का english का पर्चा लीक हुआ दोबारा परीक्षा हुई.
10 साल में कितने पेपर हुए लीक?: लेकिन उत्तर प्रदेश देश में पहला ऐसा राज्य था जिसने इंटर हाईस्कूल की परीक्षा में नकल पर जेल भेजने का कानून बनाया था. कल्याण सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और आज के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तब उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री थे, लेकिन नौकरी की परीक्षा में नकल और पेपर लीक को रोकने में उत्तरप्रदेश भी सक्षम नहीं हो पाया. जबकि यूपी देश में एक बार फिर पहला ऐसा राज्य है जहां पेपर लीक को संगठित अपराध माना जाता है. यूपी में पिछले दस साल में 12 से ज्यादा बार पेपर लीक हुए हैं.