नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन और मौजूदा राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार पर कथित तौर पर मारपीट करने का आरोप लगाया है. मालीवाल ने खुद इस घटना के बारे में सूचना दिल्ली पुलिस को पीसीआर कॉल करके दी थी. हालांकि, स्वाति की तरफ से अभी तक पुलिस में किसी प्रकार की कोई शिकायत लिखित में नहीं दी गई है. घटना को करीब 24 घंटे का वक्त होने जा रहा है, लेकिन दोनों पक्षों की ओर से सामने आकर अभी तक कुछ भी नहीं कहा गया है. इस मामले के सामने आने के बाद 6 साल पहले 19-20 फरवरी दरम्यानी रात की एक घटना फिर चर्चा में आ गई है जिसने दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में ब्यूरोक्रेट्स को सख्ते में डाल दिया था.
दरअसल, 19 फरवरी 2018 की रात्रि को दिल्ली के पूर्व चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के साथ भी सीएम हाऊस में उनको बंधक बनाकर कथित दुर्व्यवहार और मारपीट करने का मामला सामने आया था. अंशु प्रकाश ने दिल्ली पुलिस को शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि जब वो सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास पर एक मीटिंग में शामिल होने के लिए गए थे तो उनको वहां पर बंधक बना लिया गया था. उनके साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार और मारपीट की गई थी. इस मीटिंग में सीएम केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान, प्रकाश जरवाल समेत अन्य कई विधायक मौजूद रहे थे.
उस समय के तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के आरोपों पर दिल्ली पुलिस ने सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कुल 13 लोगों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी अधिकारी पर ड्यूटी के दौरान हमला करने, सरकारी ड्यूटी के दौरान मारपीट करने, बंधक बनाने और आपराधिक षडयंत्र रचने जैसी आईपीसी की संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया था. हालांकि सांसद और विधायक के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली राउज एवेन्यू की स्पेशल कोर्ट ने अक्टूबर 2018 में सभी को जमानत दे दी थी.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा अंशु प्रकाश का मामला : इस मामले में अगस्त, 2021 में राउज एवेन्यू की स्पेशल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में अरविंद केजरीवाल समेत 11 आरोपियों को बरी कर दिया था. कोर्ट ने दो अन्य आरोपी विधायकों अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे, कोर्ट के इसी फैसले को पूर्व सीएस अंशु प्रकाश ने चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी. जिस पर अदालत की तरफ से नोटिस भी जारी हुआ था. पूर्व सीएस अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट का मामला दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है.
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दो धड़ों में बंट गए थे दिल्ली सरकार के ब्यूरोक्रेट्स :अंशु प्रकाश के मामले में दिल्ली की ब्यूरोक्रेसी और दूसरे अन्य स्तर के अफसरों में भी बंटवारा हो गया था. इस घटना के बाद पूरे देश की ब्यूरोक्रेसी में भी दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी पैदा हो गई थी. दिल्ली में आईएएस अफसरों के दो धड़े बन गए थे. एक धड़ा जहां खुलकर पूर्व सीएस के साथ कथित मारपीट मामले में साथ आ गया था. वहीं, दूसरा ग्रुप चुप्पी साधे केजरीवाल सरकार के साथ जुड़ा रहा. साथ ही दानिक्स से लेकर दास कैडर के अफसर के भी धड़े बन गए थे. यह सभी सहुलियत के मुताबिक सरकारी कामकाज को कर रहे थे. सरकार में लंबे समय तक गतिरोध की स्थिति बनी रही थी, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों के बाद एजीएमयूटी कैडर के 1987 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी विजय कुमार देव को नवंबर 2018 को दिल्ली का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था और अंशु प्रकाश को केंद्र सरकार में ट्रांसफर किया गया. अंशु प्रकाश एजीएमयूटी कैडर के 1986 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी हैं.
तनातनी के बीच विजय कुमार देव को सौंपी दिल्ली की कमान :सीनियर आईएएस विजय कुमार देव दिल्ली सरकार में नवंबर, 2018 में चीफ सेक्रेटरी नियुक्त होने के बाद से अपनी सेवानिवृति (वीआरएस) लेन के वक्त तक केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने वाले ब्यूरोक्रेट्स बने. उनके कार्यकाल में दोनों के बीच किसी प्रकार के टकराव के पैदा होने की नौबत नहीं आई थी. विजय देव 20 अप्रैल, 2022 को वीआरएस लेने के बाद अब दिल्ली राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं, जोकि पद संभालने के बाद से 6 साल के लिए होता है. उनके बाद दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी के तौर पर 1987 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी नरेश कुमार को नियुक्त किया गया था. जिनका मौजूदा समय में केजरीवाल सरकार के साथ बेहतर संबंध नहीं हैं.
इस बीच देखा जाए तो स्वाति मालीवाल के साथ सीएम हाऊस में उनके निजी सचिव की तरफ से की गई कथित मारपीट और झड़प ने 6 साल पुराने मामले को एक फिर हवा देने का काम कर दिया है. इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष, आम आदमी पार्टी पर पूरी तरह से हमलावर है. अहम बात यह है कि स्वाति मालीवाल का यह मामला उस वक्त सामने आया है जब दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर आगामी 25 मई को वोट डाले जाएंगें. सीएम केजरीवाल आबकारी नीति में कथित घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 10 मई से अंतरिम जमानत पर हैं और चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंके हुए हैं. ऐसे में मालीवाल के बहाने विपक्षी दल बीजेपी के हाथ एक और चुनावी मुद्दा हाथ लग गया है, जिसके बाद वह लगातार आप पार्टी और सीएम केजरीवाल को घेरने में जुट गया है.
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