जमशेदपुर: तीरंदाज और आर्चरी कोच पूर्णिमा महतो ने एक बार फिर झारखंड राज्य का नाम रोशन किया है. पूर्णिमा महतो को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की है. पद्मश्री पुरस्कार में नाम आने से पूर्णिमा काफी खुश हैं और उन्होंने इसे अपने मां-पिता को समर्पित किया है.
पद्मश्री की घोषणा के बाद पूर्णिमा महतो ने पत्रकारों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा है कि वह जो कुछ भी हैं अपने माता-पिता की वजह से हैं. यही नहीं उनके पति और बच्चे का भी सर्पोट हमेशा उनके साथ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर परिवार का सहयोग नहीं होता तो शायद वे इस जगह पर नहीं पहुंच पाती. फिलहाल उसका ध्यान ओलंपिक की ओर है, ताकि ओलंपिक में भारत भी अपना परचम लहरा सके.
पूर्णिमा टाटा स्टील के तीरंदाज टीम की कोच हैं. पूर्णिमा को इससे पहले 2013 में राष्ट्रपति के हाथों द्रोणाचार्य अवार्ड मिल चुका है. 11 साल की उम्र से पूर्णिमा तीरंदाजी कर रही हैं और उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में एक रजत पदक और भारतीय राष्ट्रीय तीरंदाजी चैंपियनशिप जीता है. इसके अलावा 2008 और 2012 के समर ओलंपिक में ये भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए कोच थीं.
1992 में भारतीय टीम में शामिल हुई पूर्णिमा ने दिल्ली में विशेष प्रशिक्षण लिया. तीरंदाज के रूप में, इन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक अर्जित किए. वह एक भारतीय राष्ट्रीय चैंपियन भी थीं. 1993 की अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप में, उन्होंने टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक अर्जित किया. 1994 के पुणे राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने तीरंदाजी में छह गोल्ड मेडल जीते.