लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है, जबकि अन्य शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रणाली के क्रियान्वयन को फिलहाल टाल दिया गया है. सरकार के इस रुख के खिलाफ बनारस के एक मदरसे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है. सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है, जबकि अन्य स्कूलों में इसे टाल दिया गया है.
मदरसों के साथ भेदभाव का आरोप: मदरसों में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह राज्य के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के मुकाबले मदरसों के साथ भेदभाव है. सरकारी आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है.
वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह, मोहम्मद अली औसाफ और संकल्प राय ने न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की बेंच के सामने दलील दी कि मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2004 और मदरसा नियमावली, 2012 के तहत उपस्थिति से संबंधित कोई निर्णय लेने का अधिकार निदेशक या रजिस्ट्रार को नहीं है. यह अधिकार केवल मदरसा प्रबंधन समिति और प्रधानाचार्य को है.