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दरगाह वाद के बाद नया विवाद, अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर का दावा- अढ़ाई दिन का झोपड़ा नहीं, कंठाभरण संस्कृत पाठशाला

दरगाह के नीचे मंदिर होने के दावों के बीच अब अढ़ाई दिन के झोपड़े को लेकर भी एक दावा किया गया है. पढ़िए पूरा मामला...

ADHAI DIN KA JHOPRA
अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर का दावा (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 18 hours ago

अजमेर : दरगाह वाद प्रकरण के बाद अब अढ़ाई दिन के झोपड़े को लेकर भी दावा किया जा रहा है कि कंठाभरण संस्कृत पाठशाला को तोड़कर यहां आक्रांताओं ने अढ़ाई दिन का झोपड़ा बनाया था. यह दावा अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन का है. उनका आरोप है कि धर्म विशेष के लोगों की ओर से पुरातत्व विभाग के संरक्षित इमारत का उपयोग अपने धार्मिक क्रियाकलापों के लिए किया जा रहा है. साथ ही हिंदू संस्कृति से जुड़ी चीजों और उस स्थान में वास्तविक महत्व को नष्ट किया जा रहा है.

जैन ने बताया कि उन्होंने केंद्र, राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व विभाग से संस्कृत पाठशाला को संरक्षित करने की मांग की है. साथ ही वहां जो हिंदू देवी- देवताओं और जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां पाई गई हैं, उनको संरक्षित किया जाए. साथ ही वहां संग्रहालय बनाया जाए. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नालंदा विश्वविद्यालय का जीर्णोद्धार करके उसका संवर्द्धन किया गया है, उसी प्रकार 1000 वर्ष से अधिक पुरानी संस्कृत पाठशाला को भी संरक्षित और संवर्द्धन दिया जाए. ये वैभवशाली इतिहास का केंद्र है. इसे आने वाली पीढियां भी देख पाएं, इसकी व्यवस्था की जाए.

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संस्कृति को नष्ट करने की साजिश :जैन ने कहा कि अलग-अलग समय में आक्रमणकारियों ने देश की संस्कृति, शिक्षा और धार्मिक स्थलों को नष्ट और भ्रष्ट करने का प्रयास किया है. इसका ही परिणाम है कि तक्षशिला, नालंदा विश्वविद्यालय, गार्गी वेद पाठशाला, सभी को नष्ट कर दिया. इस प्रकार का एक उदाहरण अजमेर में भी है. अजमेर में कंठाभरण संस्कृत पाठशाला को तोड़ दिया गया. 1000 साल पहले आतताइयों ने इसे तहस-नहस कर दिया था. वहां हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां थीं, उन्हें नष्ट कर दिया गया. पाठशाला को पूरा जमींदोज करने की कोशिश की, लेकिन वह उसमें सफल नहीं हुए. इस संस्कृत पाठशाला में आज भी हमारी आस्था और धार्मिक चिन्ह मौजूद हैं.

हिन्दू मंदिर की तरह है वास्तुकला :उन्होंने कहा कि संस्कृत स्कूल की पाठशाला की वास्तुकला बिल्कुल हिन्दू मंदिर की तरह है. कमल, स्वस्तिक चिन्ह आज भी मौजूद हैं. खम्बों में देवी देवताओं की मूर्तियां नजर आती हैं. यह पूरा स्थान पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित है. 250 से अधिक खंडित मूर्तियां को विभाग ने संरक्षित रखा हुआ है. इसके बावजूद यहां पर धर्म विशेष की ओर से विभिन्न धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं.

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