कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में बीते दिसंबर और इस जनवरी माह में बारिश न होने से अब सूखे की स्थिति बन गई है. ऐसे में रबी की फसल खासी प्रभावित हुई है. अब अगर बारिश या बर्फबारी नहीं होती है तो आने वाला कृषि सीजन इससे बुरी तरह से प्रभावित होगा. वहीं, रबी की फसल के लिए अब कृषि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में नुकसान का आकलन भी किया जा रहा है.
फिलहाल कृषि विभाग द्वारा अभी तक यह नुकसान 20% तक दर्ज किया गया है, लेकिन पूरी रिपोर्ट आने के बाद इस नुकसान के बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है. हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी की वजह से देरी से जिन भी क्षेत्रों में बुवाई की गई है, वहां पर काफी नुकसान हुआ है.
हिमाचल प्रदेश की अगर बात करें तो दिसंबर माह में सामान्य से 85% तक कम वर्षा दर्ज की गई है. जबकि जनवरी माह में करीब 110 सालों के बाद ऐसे सूखे की स्थिति बनी है. हिमाचल प्रदेश में किसानों द्वारा गेहूं, जो, चना और मटर आदि फसल बिजी गई है. सिंचित क्षेत्र में भी किसानों द्वारा सब्जियां लगाने का काम शुरू किया गया है, लेकिन समय पर बारिश न होने के चलते यह सभी फसलें पूरी तरह से प्रभावित हुई है.
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 30% ऐसा कृषि इलाका है, जो सिंचित क्षेत्र के तहत आता है. जबकि 70% कृषि क्षेत्र ऐसा है. जहां पर सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. सिंचाई की व्यवस्था न होने के चलते गेहूं जो, मटर और सरसों की फसल प्रभावित हुई है. ऐसे में कृषि विभाग द्वारा सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने इलाकों में सूखे से प्रभावित हुई. फसलों की रिपोर्ट को तैयार करें.
कृषि विभाग से मिली आंकड़ों के अनुसार बीते 110 सालों में इस तरह के हालात 11वीं बार बने हैं. जब बारिश का न्यूनतम स्तर -99.7 फीसदी आंका गया है. इस समय बारिश का आकलन 43 फीसदी होना चाहिए, लेकिन अभी तक एक फीसदी बारिश भी नहीं हो पाई है. यही कारण है की मौसम की बेरुखी के चलते सब्जियां भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. इससे पहले साल 2018 में भी इसी तरह के सूखे के हालात बने थे और अब साल 2024 में भी यही स्थिति बनी हुई है.