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तदर्थ शिक्षकों ने किया कैबिनेट प्रस्ताव का बहिष्कार, बोले- मानदेय मंजूर नहीं, मौलिक पदों पर स्कूलों में रखा जाए वापस - Ad hoc teachers protest

माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों से निकाले गए तदर्थ शिक्षकों ने कैबिनेट से पास प्रस्ताव का बहिष्कार किया है. तदर्थ शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन सौंपा है. शिक्षकों ने मांग की है उन्हें मौलिक पदों पर ही स्कूलों में वापस रखा जाए.

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तदर्थ शिक्षकों ने किया कैबिनेट प्रस्ताव का बहिष्कार (photo credit- etv bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 2:11 PM IST

लखनऊ: माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों से निकाले गए तदर्थ शिक्षकों ने मंगलवार को कैबिनेट से पास हुए प्रस्ताव का विरोध किया. शिक्षकों ने भारी संख्या में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पहुंच कर विरोध दर्ज कराया. साथ ही कैबिनेट प्रस्ताव का भी विरोध किया.शिक्षकों ने कहा, कि 30 सालों से पूर्ण वेतन प्राप्त शिक्षक अब बंधुआ मजदूर की तरह कार्य नहीं करेगा.

शिक्षकों को नहीं मंजूर कैबिनेट का फैसला:तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के अध्यक्ष रवींद्र सिंह ने बताया, कि बीते दो जुलाई को कैबिनेट से पूर्ण वेतन प्राप्त तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखे जाने का प्रस्ताव पास हुआ. सरकार ने पूर्ण वेतन प्राप्त शिक्षकों को अलग से रखते हुए 25 से 30 हजार रुपये मानदेय पर रखने का प्रस्ताव पास कर शिक्षकों को अपमानित किया है. शिक्षकों ने इसे काला दिवस बताते हुए कहा, कि सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय से प्रदेश के सभी तदर्थ शिक्षक अधिकारियों एवं प्रबंधकों द्वारा शोषण की खुली छूट दे दी गई है. ऐसे में जब शिक्षकों का भविष्य अधंकार में होगा तो, वह विद्यार्थियों का भविष्य कैसे बनाएगा. इसे लेकर प्रदेश भर के तकरीबन 450 तदर्थ शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय का घेराव कर प्रदर्शन किया है.


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शिक्षक पिछले आठ महीनों से बेरोजगार: प्रदेश महामंत्री सुशील शुक्ला ने बताया, कि प्रदेश में 9 नवंबर 2023 को माध्यमिक स्कूलों में 30-30 सालों से राजकीय शिक्षकों की तरह पूर्ण वेतन पा रहे प्रदेश के 2250 तदर्थ शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया. अब उनके लिए सरकार ने मानदेय का विकल्प तैयार किया है. सुशील शुक्ला ने कहा, कि तदर्थ शिक्षक इस प्रस्ताव का बहिष्कार करते हैं. प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल सिंह राणा ने बताया, कि तदर्थ शिक्षक सामान्य शिक्षक की तरह स्कूलों में कार्यरत थे. शिक्षकों का सातवें वेतनमान का भी लाभ दिया गया. जीपीएफ, एलआईसी समेत तमाम सुविधाएं मिल रही थीं. शिक्षक पिछले आठ महीनों से बेरोजगार है. वहीं, अब उनके लिए मानदेय पर रखने का रास्ता तैयार कर शिक्षक खुद को अपमानित महसूस कर रहा है.


निदेशक से मुलाकात कर सौंपा ज्ञापन:प्रदर्शन कर रहे तदर्थ शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव को ज्ञापन सौंपा और मांग की, कि पिछले प्रदेश के सभी 2250 तदर्थ शिक्षकों को उनके पद पर बनाये रखते हुए पहले की तरह आमेलित अथवा समायोजित किया जाए. साथ ही 62 वर्ष की आयु तक सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए. वहीं, समस्त शिक्षकों का भुगतान ट्रेजरी द्वारा ही कराया जाए.

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