पटना: बिहार में ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्य भरे पड़े हैं. मौर्य कालीन पुरातात्विक अवशेष तो पहले से ही हैं लेकिन अब पाल कालीन कला के साक्ष्य भी मिलने लगे हैं. पटना में एक अजूबा मंदिर मिलने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है, हजारों की संख्या में लोग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.
मंदिर के दीवारों में नजर आती है पाल कला: सम्राट अशोक के शासनकाल में राजधानी पटना शासन प्रशासन का केंद्र हुआ करता था. आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच राजधानी पटना पाल कला का भी केंद्र हुआ करता था. अब पटना में पलकालीन अवशेष मिलने लगे हैं. राजधानी पटना के सिटी इलाके में एक मंदिर के अवशेष मिले हैं जिसे देखने हजारों की भीड़ उमड़ रही है.
शिवलिंग की पूजा के लिए उमड़ी भीड़: पटना सिटी इलाके के नारायण बाबू मोहल्ले में इन दिनों शिव भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है. दरअसल एक पुराने मकान के अंदर अनोखी मंदिर की सुव्यवस्थित आकृति मिली है. मंदिर कई सालों से मिट्टी के अंदर जमीन में दबा हुआ था लेकिन खुदाई के दौरान लोगों को मंदिर की आकृति मिली. पहले बड़े से मंदिर के अंदर एक छोटे मंदिर का निर्माण कराया गया था. छोटे मंदिर के अंदर शिवलिंग स्थापित है. मंदिर की चमक और खूबसूरती आज भी बरकरार है.
गोमुख के जरिए जल निकासी की व्यवस्था: मंदिर का निर्माण लाहौरी ईंट के द्वारा कराया गया है. बता दें कि यह ईंट काफी पतला होता है. मंदिर में प्रवेश के लिए चार दरवाजे हैं, जिसमें की दो फिलहाल बंद है. मंदिर के अंदर वाली मंदिर को काले एकाश्म पत्थर से बनाया गया है. शिवलिंग के सामने विष्णु भगवान के चरण है और गोमुख के जरिए जल निकासी की व्यवस्था है.
कितना पुराना हो सकता है ये मंदिर: पटना विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर और पुरातत्वविद जयदेव मिश्रा ने कहा है कि यह मंदिर हजार साल पुराना हो सकता है. पाल काल में राजधानी पटना मिलिट्री कैंटोनमेंट हुआ करता था. खालिमपुर अभिलेख से इस बात की पुष्टि भी होती है. हालांकि पाल वंश के राजाओं की राजधानी मुंगेर हुआ करती थी. पाल काल में शैव, वैष्णव और शाक्त धर्म को संरक्षण मिलता था और उसी शैली में मंदिर निर्माण होता था.