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गजब..! इसे ही कहते हैं आत्मनिर्भर की ओर बढ़ता बिहार, 1000 परिवार बना रहा दुल्हनों की चूड़ियां-लहठी, कई राज्यों में डिमांड - Gaya Churi Wala Gaon

Woman Making Bangles in Gaya : कहा जाता है, यदि आपमें कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उपरवाला रास्ता खोल देता है. कुछ ऐसा ही नजारा गया में देखने को मिलता है. जहां महिलाएं चूड़ियां-लहठी बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 12, 2024, 8:27 PM IST

Updated : Jun 12, 2024, 9:32 PM IST

चूड़ी वाला गांव.
चूड़ी वाला गांव. (ETV Bharat)

देखें यह रिपोर्ट. (ETV Bharat)

गया : कभी दुल्हनों की चूड़ियों के लिए राजस्थान की ब्रांड ही होती थी, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई. अब बिहार के गया में मुस्लिम परिवारों के द्वारा बनाई गई चूड़ियां दुल्हन को सजती हैं. तकरीबन 1000 से अधिक परिवार दुल्हन की चूड़ियां, लहटी के निर्माण से सीधे जुड़े हुए हैं. कलाकारी ऐसी है कि इसकी डिमांड बिहार में ही नहीं बल्कि झारखंड, उड़ीसा, कोलकाता तक हो रही है. बिहार की दुल्हन चूड़ी व लहटी देश के कई राज्यों में सप्लाई हो रही है.

गया का 'चूड़ी वाला गांव' :गया में बड़े पैमाने पर इसका निर्माण हो रहा है. दुल्हन चूड़ियों के निर्माण को लेकर अब इसे चूड़ी वाले गांव के रूप में पहचान बनती जा रही है. गया के बारा-वारिस नगर को चूड़ी वाला गांव के रूप में लोग जानने लगे हैं. बारा वारिस नगर में करीब 1000 परिवार के लोग दुल्हन चूड़ी व लहटी बना रहे. परिवार का एक सदस्य औसतन 250 से 300 रूपए कमा लेता है. इसके अलावा पंचायती अखाड़ा, इकबाल नगर में भी दुल्हन चूड़ी निर्माण का काम वृहत रूप से फैल रहा. यह सभी इलाके आसपास के हैं.

''औसतन 300 रूपए की आमदनी हो जाती है. यदि ज्यादा काम किया तो ज्यादा रुपए मिलते हैं. महिलाएं काफी संख्या में इससे जुड़ी हुई हैं. पहले कुछ ही घरों में यह बनाया जाता था, लेकिन अब सैकड़ों घरों में भी यह बनाया जाता है. वहीं कई कारखाने में भी दुल्हन चूड़ी दुल्हन लहटी का निर्माण हो रहा है. गया में इसका बड़ा फैलाव हुआ है और इसकी दूसरे राज्यों में काफी डिमांड है.''- गुड़िया खातून, दुल्हन चूड़ी व लहटी बनाने वाली महिला

आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं. (ETV Bharat)

कब से शुरू हुआ निर्माण कार्य? :गया में वर्ष 2010 से दुल्हन चूड़ी-लहटी निर्माण का काम शुरू किया गया था. कुछ परिवारों ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन 2020 के आसपास से दुल्हनों के लिए बनने वाली चूड़ियां और लहटी के लिए गया के यह इलाके प्रसिद्ध हो गए. शुरुआत किए जाने के बाद यह धंधा धीरे-धीरे मंदा पड़ता चला गया.

कोरोना काल में बढ़ा : हालांकि इसी बीच कोरोना काल में नया मोड़ आया. तब, राजस्थान के जयपुर में चूड़ी कारखानों में काम करने वाले बिहारी मजदूर जब अपने प्रदेश लौटे तो बेरोजगारी से निपटने के लिए गया में ही दुल्हनों के लिए चूड़ी और लहटी का निर्माण शुरू कर दिया. फिर धीरे-धीरे इस धंधे का फैलाव बड़ी तेजी से शुरू हुआ. अब स्थिति यह है कि गया में बने दुल्हन चूड़ी व लहटी के आगे अब किसी और राज्य के ब्रांड की जरूरत नहीं है. यहां ऐसे-ऐसे खूबसूरत दुल्हनों की चूड़ियां और लहटी बनाए जा रहे हैं कि गया की कलाकारी देख लोग दंग रह जाते हैं.

लहठी बनाती महिला (ETV Bharat)

इस उद्योग पर ध्यान देने की जरूरत :दुल्हन चूड़ी के कारोबार से जुड़े मोहम्मद न्याज खान बताते हैं कि, यह एक उद्योग का रूप गया में ले चुका है. गया के बारा समेत कई इलाकों में बड़े पैमाने पर दुल्हन चूड़ी का निर्माण हो रहा है. हालांकि कई महीने तक यह कारोबार मंदी में चला जाता है, जिसके कारण इसके व्यवसाईयों को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ती है. इस धंधे को बचाने के लिए सरकार मदद करें. इस धंधे को बढ़ावा देने के लिए नीति तैयार की जाए.

''बिहार के गया में बनी दुल्हन चूड़ी दुल्हन लहटी बिहार के अलावा अन्य राज्य में भी बेची जा रही है. यह एक अच्छी बात है. हजारों परिवार को इससे रोजगार मिला है और वह खुशहाल हो रहे हैं.''- मोहम्मद इरफान, दुल्हन चूड़ी बनाने वाले संचालक

लहठियों से सजा दुकान. (ETV Bharat)

इस तरह से होता है तैयार :बताया जाता है, कि दुल्हन चूड़ी दुल्हन लहटी के लिए कच्चा मेटल आता है. कच्चा मेटल पर रेजिन और हार्डनर दोनों केमिकल मिलाकर मसाला बनाकर चिपकाते हैं. इसके बाद उसपर डिजाइन लगाते हैं. विभिन्न आकर्षक डिजाइन सितारे, मोती, शीशा व अन्य सामग्री लगाते हैं. ऑर्डर के अनुसार डिजाइन होती है. कम से कम एक दुल्हन चूड़ी का सेट ₹200 में मिलता है. अधिकतम यह 5000 से भी अधिक मूल्य तक जा सकता है.

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Last Updated : Jun 12, 2024, 9:32 PM IST

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