नई दिल्ली: कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच बड़े कूटनीतिक विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने संसदीय समिति के समक्ष स्वीकार किया है कि भारत अपनी सीमाओं के पार सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने के लिए गुप्त कार्रवाई करता रहा है. सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि गुप्त कार्रवाई कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो सकती है.
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि भारत की सीमाओं के पार सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने के लिए गुप्त कार्रवाई की जा रही है, क्योंकि किसी भी प्रत्यक्ष कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो सकती है और पड़ोसी देशों के साथ तनाव पैदा हो सकता है.
मंत्रालय ने कहा कि मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) और सब्सिडियरी मल्टी एजेंसी सेंटर (एसएमएसी) भारत में आतंकवादी नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने के लिए संसाधनों को साझा करने की दिशा में काम कर रहे हैं. भारत संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति (जीसीटीएस) की द्विवार्षिक समीक्षा में सुरक्षित ठिकानों पर उपयुक्त कदम उठाने के लिए अन्य सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है.
गौरतलब है कि भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंध उस समय और भी खराब हो गए थे, जब कनाडा ने भारत सरकार पर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था. सितंबर 2024 में दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. खालिस्तानी आंदोलन के समर्थक निज्जर की 18 जून, 2023 को कनाडा के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हालांकि, भारत सरकार ने निज्जर की हत्या में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है.
वास्तव में, शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में मंत्रालय ने कहा कि घुसपैठ रोधी ग्रिड को मजबूत किया गया है ताकि छिद्रपूर्ण सीमाओं के माध्यम से शत्रुतापूर्ण तत्वों की आमद को रोका जा सके.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, एजेंसी से एजेंसी के बीच समन्वय को बढ़ाया गया है. मंत्रालय ने आगे कहा कि वह अपने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान (पीएआई) प्रभाग के माध्यम से विभिन्न द्विपक्षीय/बहुपक्षीय/संयुक्त राष्ट्र मंचों पर पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को उजागर करना जारी रखता है. प्रभाग ने नियमित रूप से अपने वार्ताकारों को सभी प्रासंगिक मंचों पर पाकिस्तान की ओर से राज्य नीति के साधन के रूप में आतंकवाद के उपयोग के बारे में अवगत कराया है.
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के सदस्य के रूप में भारत ने पाकिस्तान द्वारा एफएटीएफ मानकों का पालन न करने से संबंधित चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया था, जिसके परिणामस्वरूप एफएटीएफ द्वारा उसे ग्रे लिस्टिंग में डाल दिया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को 27 सूत्री अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (ICRG) कार्य योजना का पालन करना था, जिसका उद्देश्य अपने क्षेत्र में राज्य प्रायोजित आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करना था. पाकिस्तान अभी भी ICRG/ एशिया प्रशांत समूह (APG) के माध्यम से FATF को अपनी बाध्यताएं पूरी नहीं कर रहा है. मंत्रालय ने कहा कि खुफिया जानकारी के आधार पर निवारक अवरोध आतंकी ढांचे को खत्म करने के मूल में रहे हैं, जिसके कारण भारत भर में सीमा पार से संचालित कई आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है.