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प्रदेश में ERCP के तहत लगेंगे 1 लाख 60 हजार बोरवेल, CM भजनलाल बोले- 'कर्मभूमि से मातृभूमि' कार्यक्रम वरदान होगा - कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम

प्रदेश में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के तहत प्रदेश में 1 लाख 60 हजार बोरवेल लगाएं जाएंगे.

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 6, 2024, 12:03 PM IST

नई दिल्ली/जयपुर : कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल से मुलाकात कर 'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान पर विस्तृत चर्चा की. इस दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे. पाटिल से मुलाकात के बाद सीएम भजन लाल ने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के तहत प्रदेश में 1 लाख 60 हजार बोरवेल लगाएं जाएंगे. कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम राजस्थान के लिए वरदान होगा.

ईआरसीपी महत्वाकांक्षी योजना :सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि 'ईआरसीपी महत्वाकांक्षी योजना है और इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने सूरत में की थी. यह बहुत बड़ा काम है, यह कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम राजस्थान के लिए वरदान साबित होगी. राजस्थान में पानी की बहुत कमी है. ऐसे में 160000 बोरवेल लगाना बहुत बड़ा काम होगा. सिरोही और जोधपुर में यह काम शुरू हो गया है. यह योजना राजस्थान को नई राह दिखाएगी. विकसित राजस्थान और विकसित भारत के क्षेत्र में यह बहुत बड़ा कदम होगा.' यह कार्यक्रम राजस्थान के लिए वरदान साबित होगा.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (वीडियो ईटीवी भारत दिल्ली)

पढ़ें: पीएम मोदी 17 को देंगे ERCP की सौगात, राठौड़ बोले- पूर्ववर्ती सरकार ने परियोजना को अटकाने का काम किया

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल संचय के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए 'कर्मभूमि से मातृभूमि' कार्यक्रम की पहल की गई है. इस अभियान के तहत प्रवासी बंधुओं की जनभागीदारी के माध्यम से मातृभूमि के विकास में योगदान के रूप में राजस्थान राज्य में भूजल स्तर में बढ़ोतरी के लिए 45 हजार ट्यूबवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण होगा. यह अभियान प्रदेश में वाटर रिचार्ज के क्षेत्र में वरदान साबित होगा, वाटर कंजर्वेशन को बढ़ावा मिलेगा. यह अभियान जल संरक्षण के क्षेत्र में नया अध्याय लिखेगा. यह न केवल वाटर रिर्सोसेज को सहेजने में मददगार साबित होगा, बल्कि प्रवासी बंधुओं को अपनी मातृभूमि के विकास में योगदान का सार्थक अवसर भी प्रदान करेगा.

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