नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश में इंटरनेट की कीमतों को विनियमित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने रजत नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के पास इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कई विकल्प हैं.
पीठ ने कहा, "यह एक फ्री मार्केट है. कई विकल्प हैं. पको वायर्ड इंटरनेट मिलता है, अन्य इंटरनेट भी हैं, बीएसएनएल और एमटीएनएल भी आपको इंटरनेट दे रहे हैं." याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बाजार के अधिकांश हिस्से पर जियो और रिलायंस का नियंत्रण है.
'कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया के पास जाएं'
इस पर पीठ ने कहा, "अगर आप कार्टेलाइजेशन का आरोप लगा रहे हैं, तो कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया के पास जाएं." हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर याचिकाकर्ता उचित वैधानिक उपाय का सहारा लेना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है.
जियो के सबसे ज्यादा हिस्सेदारी
टेलीकॉम रेगूलेटरी ऑफ इंडिया (TRAI) के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में कुल इंटरनेट ग्राहकों की 50.40 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ रिलायंस जियो इन्फोकॉम के पास थी. इसके बाद भारती एयरटेल 30.47 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर था.
ट्राई की द इंडियन टेलीकॉम सर्विस ईयरली परफोर्मेंस इंडिकेटर 2023-2024 टाइटल वाली रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 के अंत में इंटरनेट ग्राहकों की कुल संख्या बढ़कर 954.40 मिलियन हो गई, जो मार्च 2023 के अंत में 881.25 मिलियन की तुलना में 8.30 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्शाती है.