ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट ने एचआईवी दवाओं की खरीद की गुणवत्ता के बारे में केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा - SUPREME COURT

एचआईवी रोगियों के इलाज के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी दवाओं की गुणवत्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्यों से जवाब मांगा है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (INAS)
author img

By Sumit Saxena

Published : Feb 24, 2025, 7:05 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश में एचआईवी रोगियों के इलाज के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी दवाओं की गुणवत्ता के बारे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब मांगा.

इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने की. शीर्ष अदालत एनजीओ नेटवर्क ऑफ पीपल लिविंग विद एचआईवी/एड्स और अन्य द्वारा 2022 में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में एंटीरेट्रोवाइरल (एआरवी) थेरेपी दवाओं की आपूर्ति और गुणवत्ता पर चिंता जताई गई है. एआरवी थेरेपी में एचआईवी से संक्रमित लोगों का इलाज एंटी-एचआईवी दवाओं का उपयोग करके किया जाता है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि अब तक केवल चार राज्यों ने उनके द्वारा दायर हलफनामे पर अपना जवाब दिया है. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने दवाओं की खरीद की प्रक्रिया और गुणवत्ता सहित कुछ मुद्दों को उजागर किया है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, "सभी राज्यों को अपना जवाब दाखिल करने दें...."

पीठ ने केंद्र सरकार और राज्यों से सितंबर, 2024 में याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर हलफनामे पर एक महीने के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में निर्धारित की है. पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि सरकार राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एआरवी थेरेपी केंद्रों के माध्यम से एचआईवी से पीड़ित सभी लोगों के लिए मुफ्त, आजीवन एआरवी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है.

शीर्ष अदालत को बताया गया कि कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर सभी एआरवी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने याचिका दायर करने के बाद से हुए घटनाक्रमों का हवाला देते हुए तर्क दिया था कि वर्तमान में एआरटी दवाओं की कोई कमी नहीं है, हालांकि दवाओं की खरीद और गुणवत्ता के बारे में मुद्दे उठाए.

ये भी पढ़ें- 'कुआं ही नहीं, संभल मस्जिद भी सरकारी जमीन पर'! सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार का बड़ा दावा

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश में एचआईवी रोगियों के इलाज के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी दवाओं की गुणवत्ता के बारे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब मांगा.

इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने की. शीर्ष अदालत एनजीओ नेटवर्क ऑफ पीपल लिविंग विद एचआईवी/एड्स और अन्य द्वारा 2022 में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में एंटीरेट्रोवाइरल (एआरवी) थेरेपी दवाओं की आपूर्ति और गुणवत्ता पर चिंता जताई गई है. एआरवी थेरेपी में एचआईवी से संक्रमित लोगों का इलाज एंटी-एचआईवी दवाओं का उपयोग करके किया जाता है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि अब तक केवल चार राज्यों ने उनके द्वारा दायर हलफनामे पर अपना जवाब दिया है. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने दवाओं की खरीद की प्रक्रिया और गुणवत्ता सहित कुछ मुद्दों को उजागर किया है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, "सभी राज्यों को अपना जवाब दाखिल करने दें...."

पीठ ने केंद्र सरकार और राज्यों से सितंबर, 2024 में याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर हलफनामे पर एक महीने के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में निर्धारित की है. पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि सरकार राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एआरवी थेरेपी केंद्रों के माध्यम से एचआईवी से पीड़ित सभी लोगों के लिए मुफ्त, आजीवन एआरवी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है.

शीर्ष अदालत को बताया गया कि कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर सभी एआरवी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने याचिका दायर करने के बाद से हुए घटनाक्रमों का हवाला देते हुए तर्क दिया था कि वर्तमान में एआरटी दवाओं की कोई कमी नहीं है, हालांकि दवाओं की खरीद और गुणवत्ता के बारे में मुद्दे उठाए.

ये भी पढ़ें- 'कुआं ही नहीं, संभल मस्जिद भी सरकारी जमीन पर'! सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार का बड़ा दावा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.