रांची: 2012 में अर्जुन पुरस्कार और 2016 में पद्मश्री से सम्मानित झारखंड की बेटी दीपिका कुमारी ने तीरंदाजी के क्षेत्र में अपनी कड़ी मेहनत, लगन और खेल भावना से देश और अपने राज्य को बार-बार गौरवान्वित किया है. उन्होंने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता. अब 14 साल बाद खेल प्रेमी उत्सुकता से उनसे देश के लिए पहला ओलंपिक तीरंदाजी पदक जीतने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि भारत ने इस श्रेणी में कभी पदक नहीं जीता है. भारत ने पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए छह सदस्यीय तीरंदाजी दल भेजा है, जिसमें दीपिका कुमारी उनमें सबसे वरिष्ठ हैं. उनका जन्म रतू चट्टी नामक एक बेहद छोटे से गाँव में पिता शिवनारायण प्रजापति और माँ गीता देवी के यहां हुआ था.
एक ऑटो चालक पिता और नर्स मां वाले एक सामान्य भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली कुमारी को बचपन से ही तीरंदाजी में गहरी दिलचस्पी लेते देखना वाकई असामान्य था. इस अनोखी प्रतिभा को देखकर उनकी मां ने उन्हें झारखंड के खरसावां स्थित प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र, सरायकेला-खरसावां जिला तीरंदाजी संघ (एसकेडीएए) में दाखिला दिलाया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 2005 में झारखंड कल्याण मंत्री के रूप में इस संस्थान की आधारशिला रखी थी. तब से, इस छोटी निशानेबाज़ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पुरस्कार
मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होंने 2009 में यूटा के ओग्डेन में आयोजित 11वीं युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप जीती. डोला बनर्जी और बॉम्बेला देवी के साथ उन्होंने उसी चैंपियनशिप में महिला टीम रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक भी जीता था. उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और फिर 2015 में फिर से जीता. उन्होंने 2011, 2012 और 2013 में तीन विश्व कप रजत पदक जीते. उन्होंने व्यक्तिगत और टीम रिकर्व स्पर्धा में दो राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक जीते हैं और 2010 में एशियाई खेलों में कांस्य पदक भी जीता है.