जानिए ओलंपिक खेलों का पूरा इतिहास, कैसी रही है भारत की अब तक की यात्रा ? - Paris Olympic 2024
Olympic Games: भारतीय खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेने के लिए अपनी कमर कस चुके हैं. 26 जुलाई से शुरू होने वाले इस टूर्नामेंट से पहले हम आपको इसके सम्पूर्ण इतिहास और विकास के बारे में बताने वाले हैं. पढ़िए पूरी खबर...
नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत 26 जुलाई से 11 अगस्त तक होने वाली है. इन खेलों में दुनिया भर 10,500 एथलीट 32 खेलें में हिस्सा लेने वाले हैं. भारत के स्टार एथलीट भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले हैं. इस टूर्नामेंट की शुरुआत से पहले हम आपको ओलंपिक खेलों के इतिहास के बारे में बताने वाले हैं.
कब हुआ था ओलंपिक खेलों का आगाज ओलंपिक खेलों का इतिहास लगभग 2,000 साल पुराना है. ओलंपिक शब्द लैटिन भाषा से 16वीं शताब्दी में लिया गया था. ओलंपिया, हेलिया में एक शहर है, जिसको ओलंपिक खेलों का जन्मस्थान माना जाता है. इन खेलों का आयोजन शुरुआत में त्यौहारों के दिनों में और युद्धविराम के बाद युद्धाओं के सम्मान में हर 4 साल बाद किया जाता था.
Olympic games (IANS PHOTOS)
प्राचीन ओलंपिक खेलों का आधिकारिक प्रमाण 776 ईसा पूर्व माना जा सकता है. तब ओलंपिक खेल देवता ज़ीउस के सम्मान में हर 4 साल बाद आयोजित किए जाता था. इस दौरा गायन, कविता और रंगमंच जैसी गतिविधियां खेल के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाई जाती थीं. इसके बाद 393 ई. में रोमन सम्राट थियोडोसियस इन खेलों पर रोक लगा दी. उन्होंने रोक लगाने का कारण धार्मिक बताया और ओलंपिक खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया.
1896 में पुनर्जीवित हुए ओलंपिक गेम्स इसके बाद से ओलंपिक खेलों को आधुनिक युग में पुनर्जीवित किया गया. 19वीं सदी में फिर से ओलंपिक खेल नए रूप में वापस आए. बैरन पियरे डी कुबर्टिन ने ओपंपिक खेलों को पुनर्जीवित करने की योजना 1894 में बनाई और 1896 में सोरबोन विश्वविद्यालय के ग्रैंड एम्फीथिएटर में आयोजित कराया, जिसमें 2 हजार लोगों ने हिस्सा लिया. इसके बाद से अब तक हर 4 साल बाद ओलंपिक खेलों का आयोजन होता रहा है.
इन उद्देश्यों के साथ हुआ ओलंपिक खेलों का पुर्नजन्म इसके बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का गठन किया गया. इस समित के मुख्य उद्देश्य शारीरिक और मानसिक गुणों का विकास, बेहतर और शांतिपूर्ण दुनिया और खेल के माध्यम से दोस्ती की भावना जगाना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सद्भावना पैदा करना और दुनिया भर के एथलीटों को एक साथ लाना था. इसके बाद से इन उद्देश्यों के साथ ओलंपिक खेलों का हर 4 साल बाद सफल आयोजन किया जाता है. हालंकि 1912 में हुए ओलंपिक गेम्स के बाद विश्व युद्ध के चलते अगला सीजन 1920 में 8 साल बाद आयोजित किया गया था.
ओलंपिक में पहली बार हुई महिलाओं की एंट्री सन 1900 में पेरिस में ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया. इन खेलों में पहली बार महिलाओं को हिस्सा लेने की अनुमति दी गई. ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली महिला ब्रिटिश टेनिस चार्लोट कूपर थीं, जो ओलंपिक चैंपियन बनीं. पहली बार केवल 22 महिलाओं को हिस्सा लेने का मौका मिला था. महिलाओं ने पांच खेल टेनिस, नौकायन, क्रोकेट, घुड़सवारी और गोल्फ में हिस्ला लिया.
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कब पहली बार मिले खिलाड़ियों को पदक सन 1904 में सेंट लुइस के मिसौरी में ओलंपिक खेलों का जब आयोजन हुआ तब सबसे पहले स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक खिलाड़ियों को दिए गए. इसी साल ओलंपिक खेलों में विकलांग एथलीट जॉर्ज आइज़र ने हिस्सा लिया और जिमनास्टिक में छह पदक जीत धमाल मचा दिया. इस दौरान उन्होंने 3 गोल्ड मेडल भी अपने नाम किए.
भारत ने कब लिया ओलंपिक खेलों में पहली बार भाग भारत की ओलंपिक खेलों में एंट्री काफी समय बाद हुई है. 1900 में हुए ओलंपिक खेलों में भारत ने पहली बार भाग लिया था. भारत के एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड ने एथलेटिक्स शानदार प्रदर्शन किया और 2 सिल्वर मेडल अपने नाम किए. इसके साथ ही वो भारत के लिए ओलंपिक खेलो में मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. इसके साथ ही भारत ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाला पहला एशियाई देश भी बन गया.
ओलंपिक खेलों में भारत ने कब जीता सबसे पहला गोल्ड भारत के लिए ओलंपिक खेलों में पहला गोल्ड मेडल इंडियन हॉकी टीम ने हासिल किया. हॉकी टीम ने 1928 में हुए ओलंपिक खेलो में इतिहास रचते हुए हॉकी का फाइनल जीत गोल्ड मेडल पर कब्जा कर लिया. इसके साथ ही भारत के लिए पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल इंडियन शूटर अभिनव बिंद्रा ने जीता था. उन्होंने 2008 ओलंपिक खेलों में बीजिंग 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.