महाकुम्भ नगर: महाकुंभ में भक्ति, त्याग और साधना के अलग अलग रूप देखने को मिल रहे हैं. महाकुंभ में ऐसे ही एक कल्पवासी हैं दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी. स्वामी जी का संकल्प और त्याग सुन हर कोई आश्चर्यचकित है. वे सिर्फ चाय पीकर रहते हैं. भोजन करते ही नहीं है, इसीलिए उनका नाम पयहारी है. खास बात ये है कि उनके बनाए नोट्स पढ़कर अब तक काफी संख्या में उनके शिष्य और छात्र अफसर बन चुके हैं.
41 साल से कर रहे हैं कल्पवास: बुंदेलखंड के महोबा निवासी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी के पिता एक विद्यालय में प्राचार्य थे. पिता की मृत्यु के बाद अनुकम्पा में शिक्षक की नौकरी मिली. वे गृहस्थ जीवन से ही विरक्त हो गए. दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी की कल्पवास की दुनिया भी अलग ही है. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद वह अपनी पूजा आराधना करते हैं.
इसके बाद वह अपने हाथ से दंड धारण करने वाले 51 दंडी स्वामी साधुओं की लिए भोजन तैयार करते हैं. उन्हें भोजन कराते हैं, लेकिन खुद भोजन नहीं करते हैं. वह रात में जमीन पर सोते हैं. दिनेश स्वरूप बताते हैं कि वह 41 साल से वह कल्पवास कर रहे हैं. इस महाकुंभ में वह सबसे अधिक समय से कल्पवास करने वाले कल्पवासी हैं.
जबसे शुरू किया कल्पवास तबसे नहीं ग्रहण किया अन्न और जल: दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी बताते हैं कि आज से 41 साल पूर्व उन्होंने अखंड कल्पवास की शुरुआत की. उसी दिन से उन्होंने अन्न और जल त्याग दिया. सिर्फ चाय पीते हैं, इसलिए लोग उन्हें पयहारी के नाम से भी बुलाते हैं. उन्होंने जब यह संकल्प लिया तो डॉक्टरों ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन उन्होंने अपना संकल्प परिवर्तित नहीं किया. मौनी महराज की दो ओपन बाई पास सर्जरी हो चुकी हैं. 80 फीसदी हार्ट भी काम नहीं करता, इसके बावजूद वह पूरी तरह फिट हैं. खुद डॉक्टर भी उनके इस संकल्प से हैरान हैं.