ETV Bharat / spiritual

महाकुंभ 2025: एक माह के कल्पवास से मिलता है 4 करोड़ साल की तपस्या का फल - MAHA KUMBH MELA 2025

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 10 लाख से अधिक कल्पवासी पूरे मेला क्षेत्र में रहकर कल्पवास कर रहे हैं.

ETV Bharat
प्रयागराज महाकुंभ में कल्पवास (pic credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 10:26 PM IST

प्रयागराज: संगम नगरी में महाकुंभ मेले में एक तरफ जहां करोड़ों श्रद्धालु पुण्य और आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. वहीं तम्बुओं के इस शहर में एक महीने तक दिन रात रह कर कड़े नियम संयम का पालन करते हुए करीब दस लाख श्रद्धालु संत महात्मा कल्प वास कर रहे हैं. संगम नगरी में लगने वाले माघ मेले के मुकाबले कई गुना ज्यादा लोग महाकुंभ में कल्पवास करने आते हैं. मान्यता है कि तीर्थराज प्रयागराज में एक माह कल्पवास करने से एक कल्प यानी 4 करोड़ 32 लाख साल तक तक तप करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इस दौरान पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक गंगा किनारे तंबुओं में रहकर श्रद्धालु मां गंगा की उपासना करते हुए कल्पवास करते हैं.

सदियों पुरानी है कल्पवास की परंपरा : महाकुंभ की धरती प्रयागराज में गंगा की रेती पर लगने वाले माघ मेले में कल्पवास करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज में कल्पवास करने वालों के घर परिवार पर मां गंगा का आशीर्वाद बना रहता है. इससे घर में सुख शांति का वास होता है और मां के भक्तों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. यही वजह है कि प्रयागराज माघ मेले में देश के कई राज्यों से आकर हर साल हजारों परिवार कल्पवास करते हैं. महीने भर तक के कल्पवास के दौरान श्रद्धालु निरंतर एक माह तक गंगा स्नान, जप तप, ध्यान व पूजा पाठ करते हैं. इसके साथ ही कल्पवासी तमाम शिविरों में जाकर अलग अलग शिविरों में कथा प्रवचन सुनने जाते हैं. पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के दिन गंगा स्नान के बाद संकल्प पूजा के साथ कल्पवास की शुरुआत की जाती है. जबकि माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद पूर्णाहुति हवन करके कल्पवास का समापन होता है.

कल्पवासी और महेशाश्रम महाराज ने दी जानकारी (Video credit; ETV Bharat)



मोक्ष की कामना लेकर करते हैं कल्पवास : प्रयागराज में कई सालों से निरन्तर आने वाले अखिल भारतीय दंडी सन्यासी परिषद के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम महाराज बताते हैं कि प्रयागराज सभी तीर्थों का राजा होने के साथ ही ब्रह्मा जी के यज्ञ की धरती है. उन्होंने पृथ्वी का पहला यज्ञ इसी प्रयागराज में किया था. इसके साथ ही भगवान विष्णु यहां पर अक्षय वट के रूप में स्वयं विराजमान है. रामायण और अन्य ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है. इसके अनुसार माघ महीने में यहां पर सारे देवी देवताओं का वास होता है. यही कारण है कि इस पुण्य की धरती पर माघ महीने में कल्पवास करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

कल्पवास करने के लिए जो भी श्रद्धालु यहां पर आते हैं. उनकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है. उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. महेशाश्रम महाराज ने बताया कि मनुष्यों का एक कल्प ब्रह्मा जी के एक दिन के बराबर होता है. प्रयागराज में रहकर एक माह तक कल्पवास करने से ब्रह्मा जी के एक दिन के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. उन्होंने बताया कि प्रयागराज में कल्पवास करने की परंपरा सदियों पुरानी है. यहां पर रहकर तमाम ऋषि मुनि कल्पवास करते रहे हैं. अब श्रद्धालु यहां पर घर परिवार में सुख शांति के साथ ही मोक्ष की कामना को लेकर कल्पवास करते हैं.

नियम संयम के साथ करते हैं कल्पवास : महाकुंभ क्षेत्र में हरी मछली वाले तीर्थ पुरोहित के यहां रहकर कल्पवास करने वाले पीयूष मिश्रा बताते हैं कि वो 35 साल से अधिक समय से कल्पवास करने आते रहे हैं. पहले वो अपनी मां को कल्पवास करवाने के लिए उनके साथ आते थे. अब वो खुद कल्पवास करते हैं. उनका कहना है कि नियम संयम के साथ जपतप करते हुए कल्पवास करने से मन की शांति के साथ ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उन्होंने यह भी बताया कि 4 अरब 32 करोड़ सालों का एक कल्प होता है. गंगा की रेती में माघ माह में एक माह तक रहकर कल्पवास करने से उसी कल्प के बराबर तपस्या करने का फल प्राप्त होता है.


यह भी पढ़ें - 144 साल पहले 1882 के महाकुंभ में पहुंचे थे 10 लाख श्रद्धालु, 500 ब्रिटिश पुलिस की मौजूदगी में अखाड़ों ने संभाली थी व्यवस्था - MAHA KUMBH 2025

इसे भी पढ़ें - महाकुंभ 2025; अमृत स्नान के बाद इन 9 स्थानों पर जरूर घूमें, पता चलेगा क्यों प्रयागराज को कहते हैं तीर्थराज? - MAHA KUMBH PRAYAGRAJ TOURISM

प्रयागराज: संगम नगरी में महाकुंभ मेले में एक तरफ जहां करोड़ों श्रद्धालु पुण्य और आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. वहीं तम्बुओं के इस शहर में एक महीने तक दिन रात रह कर कड़े नियम संयम का पालन करते हुए करीब दस लाख श्रद्धालु संत महात्मा कल्प वास कर रहे हैं. संगम नगरी में लगने वाले माघ मेले के मुकाबले कई गुना ज्यादा लोग महाकुंभ में कल्पवास करने आते हैं. मान्यता है कि तीर्थराज प्रयागराज में एक माह कल्पवास करने से एक कल्प यानी 4 करोड़ 32 लाख साल तक तक तप करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इस दौरान पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक गंगा किनारे तंबुओं में रहकर श्रद्धालु मां गंगा की उपासना करते हुए कल्पवास करते हैं.

सदियों पुरानी है कल्पवास की परंपरा : महाकुंभ की धरती प्रयागराज में गंगा की रेती पर लगने वाले माघ मेले में कल्पवास करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज में कल्पवास करने वालों के घर परिवार पर मां गंगा का आशीर्वाद बना रहता है. इससे घर में सुख शांति का वास होता है और मां के भक्तों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. यही वजह है कि प्रयागराज माघ मेले में देश के कई राज्यों से आकर हर साल हजारों परिवार कल्पवास करते हैं. महीने भर तक के कल्पवास के दौरान श्रद्धालु निरंतर एक माह तक गंगा स्नान, जप तप, ध्यान व पूजा पाठ करते हैं. इसके साथ ही कल्पवासी तमाम शिविरों में जाकर अलग अलग शिविरों में कथा प्रवचन सुनने जाते हैं. पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के दिन गंगा स्नान के बाद संकल्प पूजा के साथ कल्पवास की शुरुआत की जाती है. जबकि माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद पूर्णाहुति हवन करके कल्पवास का समापन होता है.

कल्पवासी और महेशाश्रम महाराज ने दी जानकारी (Video credit; ETV Bharat)



मोक्ष की कामना लेकर करते हैं कल्पवास : प्रयागराज में कई सालों से निरन्तर आने वाले अखिल भारतीय दंडी सन्यासी परिषद के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम महाराज बताते हैं कि प्रयागराज सभी तीर्थों का राजा होने के साथ ही ब्रह्मा जी के यज्ञ की धरती है. उन्होंने पृथ्वी का पहला यज्ञ इसी प्रयागराज में किया था. इसके साथ ही भगवान विष्णु यहां पर अक्षय वट के रूप में स्वयं विराजमान है. रामायण और अन्य ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है. इसके अनुसार माघ महीने में यहां पर सारे देवी देवताओं का वास होता है. यही कारण है कि इस पुण्य की धरती पर माघ महीने में कल्पवास करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

कल्पवास करने के लिए जो भी श्रद्धालु यहां पर आते हैं. उनकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है. उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. महेशाश्रम महाराज ने बताया कि मनुष्यों का एक कल्प ब्रह्मा जी के एक दिन के बराबर होता है. प्रयागराज में रहकर एक माह तक कल्पवास करने से ब्रह्मा जी के एक दिन के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. उन्होंने बताया कि प्रयागराज में कल्पवास करने की परंपरा सदियों पुरानी है. यहां पर रहकर तमाम ऋषि मुनि कल्पवास करते रहे हैं. अब श्रद्धालु यहां पर घर परिवार में सुख शांति के साथ ही मोक्ष की कामना को लेकर कल्पवास करते हैं.

नियम संयम के साथ करते हैं कल्पवास : महाकुंभ क्षेत्र में हरी मछली वाले तीर्थ पुरोहित के यहां रहकर कल्पवास करने वाले पीयूष मिश्रा बताते हैं कि वो 35 साल से अधिक समय से कल्पवास करने आते रहे हैं. पहले वो अपनी मां को कल्पवास करवाने के लिए उनके साथ आते थे. अब वो खुद कल्पवास करते हैं. उनका कहना है कि नियम संयम के साथ जपतप करते हुए कल्पवास करने से मन की शांति के साथ ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उन्होंने यह भी बताया कि 4 अरब 32 करोड़ सालों का एक कल्प होता है. गंगा की रेती में माघ माह में एक माह तक रहकर कल्पवास करने से उसी कल्प के बराबर तपस्या करने का फल प्राप्त होता है.


यह भी पढ़ें - 144 साल पहले 1882 के महाकुंभ में पहुंचे थे 10 लाख श्रद्धालु, 500 ब्रिटिश पुलिस की मौजूदगी में अखाड़ों ने संभाली थी व्यवस्था - MAHA KUMBH 2025

इसे भी पढ़ें - महाकुंभ 2025; अमृत स्नान के बाद इन 9 स्थानों पर जरूर घूमें, पता चलेगा क्यों प्रयागराज को कहते हैं तीर्थराज? - MAHA KUMBH PRAYAGRAJ TOURISM

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.