प्रयागराज: संगम नगरी की धरती पर 144 साल बाद लगे महाकुंभ में अद्भुत नजारे देखने को मिल रहे हैं. हर तरफ भक्ति का माहौल है, जगह-जगह सनातन धर्म की अलख जग रही है. महाकुंभ में एक तरफ जहां नेता, मंत्री, उद्योगपति और प्रमुख हस्तियां आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. वहीं, मेला क्षेत्र में रुद्राक्षों से बनी 'शिवनगरी' श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है.
सेक्टर 17 के पास रुद्राक्ष की शिवनगरीः सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग के दर्शन का विशेष महत्व है. ज्योतिर्लिंग अपने आप में बेहद पवित्र और आस्था के प्रति माने जाते हैं. क्योंकि यह स्वयं साक्षात भोलेनाथ का स्वरूप है. अगर आप महाकुंभ में आ रहे हैं तो आपको एक साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग के ऐसे स्वरूप के दर्शन होंगे, जो विश्व भर में कहीं नहीं है. महाकुंभ में मौनी बाबा की ओर से कुंभ के सेक्टर 17 के पास शिवनगरी बनाई है.
प्रत्येक ज्योतिर्लिंग 7 फीट ऊंचेः शिविर में 11 फीट ऊंचे 7 करोड़ 51 लाख दानों से 12 शिवलिंग को स्थापित किया गया है. यहां पर स्थापित यह ज्योतिर्लिंग एक मुखी से लेकर 26 मुखी रुद्राक्ष के दानों से तैयार किए गए हैं. इतना ही नहीं यहां 11108 भगवान शंकर के त्रिशूल भी लगाए गए हैं, जिनमें भी रद्राक्ष का प्रयोग किया गया है. इसका मकसद एक साथ एक स्थान पर भगवान शिव के अंश के रूप में पूजे जाने वाले रुद्राक्ष से हर मनोकामना को पूर्ण करना है.
पहली बार रुद्राक्ष से बने ज्योतिर्लिंगः मौनी बाबा ने बताया कि पूरे विश्व, सतयुग, त्रेता और द्वापर के बाद पहली बार कलयुग में 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से दानों से ज्योतिर्लिंग का निर्माण हुआ है. उन्होंने कहा कि यह सवाल उठता है कि ज्योतिर्लिंग का निर्माण कैसे हुआ? क्योंकि यह तो प्रकट होती है. वजह ये है कि यह सोने, चांदी या मिट्टी की नहीं है, रुद्राक्ष के दानों से बनी हैं, यानि भगवान भोलेनाथ की आंख से प्रकट हुए अंश से जो रुद्राक्ष हैं, उनसे ही इसको निर्माण करवाया गया है.
प्रत्येक ज्योतिर्लिंग में 55 लाख रुद्राक्षः मौनी बाबा ने बताया कि प्रत्येक ज्योतिर्लिंग में 55 लाख रुद्राक्ष के दाने लगाए गए हैं. इसकी ऊंचाई 11 फीट है. 11 फीट ऊंचाई इसलिए रखे गए हैं, क्योंकि रूद्र 11 हैं, 9 नवदुर्गा है, इसलिए उसकी चौड़ाई 9 फीट है. इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण देश के बड़े संकल्पों के साथ हुआ है. यहां पर 6 ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी है, जबकि पूरी दुनिया में सिर्फ महाकाल का ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी है. मौनी बाबा ने कहा कि देश से आतंकवाद मिट जाए, बांग्लादेशी हिंदू सुरक्षित हो, भारत हिंदू राष्ट्र बाने, गंगा प्रदूषण मुक्त हो जाए, भ्रूण हत्या बंद हो, बेटियों की सुरक्षा, सेना मजबूत हो और कुंभ सुरक्षित रहे. क्योंकि, खालिस्तानी आतंकवादियों ने धमकी दी है कि कुंभ में साधु संतों को मारा जाएगा. इसलिए मैंने भोलेनाथ को याद करके यहां पर उनकी स्थापना प्रक्रिया को पूर्ण किया है.
चार तरह के त्रिशूल स्थापितः मौनी बाबा ने बताया कि इसके अलावा इस पूरे परिसर में 11108 त्रिशूल में स्थापित है. इसमें चार तरह के त्रिशूल हैं. काला त्रिशूल आतंकवाद के विनाश के लिए, पीला त्रिशूल महामारी के विनाश के लिए, लाल त्रिशूल देश की अर्थव्यवस्था के लिए, सफेद त्रिशूल ज्ञान विद्या बुद्धि के लिए है. इसमें 12 घंटे लगाए गए हैं, क्योंकि 1 वर्ष में 12 महीने होते हैं. क्योंकि सूर्य 12 है, इसलिए एक-एक सूर्य के नाम से एक-एक घंटे लगाए गए हैं. 12 स्तंभ गणेश के नाम बने हैं. इसके अलावा मां बगलामुखी के नाम से स्तम्भ बने हैं, ताकि दुश्मनों का नाश हो.
परिक्रमा करने पहुंच रहे श्रद्धालुः वहीं, इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने और इसकी परिक्रमा करने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं. इस विशेष ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने और इसकी परिक्रमा करने के लिए लोगों की जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है. यहां आने वाले लोगों का कहना है कि इसके पहले कभी भी इतने बड़े और रुद्राक्ष के इतने दानों से तैयार हुए ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं किए थे. यह कुंभ में हमारे लिए संभव हुआ यह बड़ी बात है.
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