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आज से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत, जानें पूजा विधि और महत्व, क्या है इसकी मान्यता? - Gupt Navratri 2024

Gupt Navratri Puja Method: 6 जुलाई को गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. साल के चार नवरात्रि में एक यह भी है जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इसबार 9 दिन के बदले 10 दिनों तक पूजा अर्चना की जाएगी. पटना के आचार्य मनोज मिश्रा ने पूजा विधि के बारे में खास जानकारी. पढ़ें पूरी खबर.

गुप्त नवरात्रि 2024
गुप्त नवरात्रि 2024 (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 6, 2024, 9:54 AM IST

पटना: हिंदू धर्म में पंचांग के अनुसार साल में कुल चार नवरात्रि मनाया जाता है. माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन महीने में नौ देवियों की पूजा की जाती है. माघ और आषाढ़ महीने की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा की आराधना विधि के साथ की जाती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया की गुप्त नवरात्रि तांत्रिक के लिए महत्वपूर्ण होती है. तंत्रिका तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं.

15 जुलाई को संपन्नः आचार्य मनोज मिश्रा के अनुसार नवरात्रि में नौ दिनों मैं नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत आज 6 जुलाई दिन शनिवार से हो रही है. इसका समापन 15 जुलाई सोमवार को होगा. यह गुप्त नवरात्रि 9 दिनों के बजाय 10 दिनों का होगा जो चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण है.

"हिंदू पंचांग के अनुसार 6 जुलाई से घटस्थापना के साथ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी. घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:09 से लेकर 7:35 के बीच तक का है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है अर्जित मुहूर्त सुबह 10:20 से लेकर 12:00 तक का है."-आचार्य मनोज मिश्रा

10 महाविधाओं की साधनाः मनोज मिश्रा ने बताया कि गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिकों के लिए होता है. साधना महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है. इस दौरान भक्त देवी भगवती का कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं. देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह से वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविधाओं की साधना की जाती है.

9 दिनों उपवास गुप्तः नवरात्रि में लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. कठिन साधना ना कर सकने वाले साधक मात्र मां दुर्गा के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ कर पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं. नवरात्रि में 9 दिनों के उपवास का संकल्प लिया जाता है. प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए. अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्रि का व्रत करना चाहिए. दुर्गा पूजा में सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है.

कैसे करें पूजाः आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि जो भक्त गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा आराधना करना चाहते हैं वे सुबह उठकर स्नान ध्यान करके पूजा की चौकी पर मां की प्रतिमा लगाकर कलश स्थापना करें. प्रतिदिन पूजा-अर्चना करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. ध्यान रहे की दुर्गा पूजा दुर्गा सप्तशती के बिना अधूरी है. इन नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है. मां दुर्गा के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करके भी पूजा की जा सकती है.

पाठ के अध्याय का महत्वः आचमन, संकल्प, उत्कीलन, शापोद्वार, कवच, अर्गला स्तोत्र, कीलक, सप्तशती के 13 अध्याय का पाठ, मूर्ति रहस्य, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत, क्षमा प्रार्थना प्रतिदिन किया जाता है. दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय को प्रथम चरित्र 2, 3, 4 अध्याय को मध्य चरित्र एवं 5 से लेकर 13 अध्याय को उत्तम चरित्र कहते हैं. जो साधक पूरे पाठ 13 अध्याय 1 दिन में नहीं कर सकते हैं वह एक दिन में प्रथम अध्याय, 2 दिन में दो या तीन अध्याय, 3 दिन में चार अध्याय, 4 दिन में 5, 6, 7, 8 अध्याय. पांचवा दिन नवा दसवां अध्याय ,छठे दिन 11वां अध्याय, सातवां दिन 12 और 13वां अध्याय, आठवां दिन मूर्ति रहस्य हवन ,बलि क्षमा प्रार्थना. नवा दिन कन्या भोज इत्यादि किया जाता है.

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