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अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अद्भुत संयोग में होगा श्रीकृष्ण का अवतार, स्वागत में सज गए मंदिर और भक्तों के घर-द्वार - KRISHNA JANMASHTAMI 2024

SHRI KRISHNA JANMASHTAMI: सनातन संस्कृति में अन्यतम स्थान रखनेवाला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व आज पूरे देश में मनाया जा रहा है. इसको लेकर जहां मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा की गयी है वहीं भक्तों ने भी अपने भगवान के स्वागत के लिए अपने घर-द्वार का श्रृंगार किया है. सबसे बड़ी बात कि इस बार पर्व की तिथि को लेकर कोई मतभेद नहीं है क्योंकि आज रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग हो रहा है. तो आप भी जानिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का महत्त्व..

KRISHNA JANMASHTAMI 2024
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 26, 2024, 6:32 AM IST

पटना: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार अद्भुत संयोग उपस्थित हो रहा है. इसलिए इस वर्ष गृहस्थ और शुद्ध वैष्णव मतावलंबी एक साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मना रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अवतार लिया था और इस वर्ष भी ये दुर्लभ संयोग उपस्थित हो रहा है.

अष्टमी और रोहिणी का दुर्लभ संयोगः काशी पंचांग के अनुसार 26 अगस्त, सोमवार को दिन में 8 बजकर 20 मिनट के बाद अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है जबकि रोहिणी नक्षत्र का आगमन भी रात में 9 बजकर 10 मिनट के बाद हो रहा है. यानी श्रीकृष्ण अवतरण के समय मध्य रात्रि 12 बजे अष्टमी तिथि के साथ-साथ रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा. इस दुर्लभ संयोग के कारण गृहस्थों के साथ-साथ शुद्ध रोहिणी मत वाले वैष्णवों के लिए भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को यानी आज ही मान्य है.

पूरे देश में मनाया जाता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्वः आततायी कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलानेवाले भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. इस पावन अवसर पर जहां मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है तो कई भक्त अपने घरों में भी बड़े उत्साह के साथ इस पर्व को मनाते हैं. इस मौके पर भक्त रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करते हैं. श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा और उनकी बाल लीलाओं का केंद्र रहे गोकुल में तो इस पर्व की अद्भुत छटा देखने को मिलती है.

व्रतराज की संज्ञा दी गयी हैः भारतीय पर्वों की परंपरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की क्या महत्ता है वो इस बात से समझा जा सकता है कि शास्त्रों में इसे 'व्रतराज' कहा गया है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि भी कहा जाता है. इस रात योगेश्वर का ध्यान, नामोच्चारण, मंत्र जप और रात्रि जागरण करने से मोह-माया से आसक्ति समाप्त होती है. ये एक ऐसा व्रत है जिसे करने से एक साथ कई व्रतों का फल मिल जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से संतानप्राप्ति, लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

दुष्टों के संहार के लिए भगवान ने लिया था अवतारः पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में जब पृथ्वी पर दुष्टों का अत्याचार चरम पर पहुंचने लगा तो उस अत्याचार से मुक्ति के लिए स्वयं परब्रह्म ने देवकी और वसुदेव की संतान के रूप में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में अवतार लिया और दुष्ट कंस सहित सभी अत्याचारियों का नाश किया. इस तरह ये महान पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक पर्व भी है.

'जब-जब धर्म की हानि होती है मैं लेता हूं अवतार': भगवान ने स्वयं अपने मुख से कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ जाता है तब-तब मैं प्रकट होता हूं.सज्जनों की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए युग-युग में मैं अवतार लेता हूं. यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥ ( श्रीमद्भगवद्गीता)

पटना: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार अद्भुत संयोग उपस्थित हो रहा है. इसलिए इस वर्ष गृहस्थ और शुद्ध वैष्णव मतावलंबी एक साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मना रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अवतार लिया था और इस वर्ष भी ये दुर्लभ संयोग उपस्थित हो रहा है.

अष्टमी और रोहिणी का दुर्लभ संयोगः काशी पंचांग के अनुसार 26 अगस्त, सोमवार को दिन में 8 बजकर 20 मिनट के बाद अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है जबकि रोहिणी नक्षत्र का आगमन भी रात में 9 बजकर 10 मिनट के बाद हो रहा है. यानी श्रीकृष्ण अवतरण के समय मध्य रात्रि 12 बजे अष्टमी तिथि के साथ-साथ रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा. इस दुर्लभ संयोग के कारण गृहस्थों के साथ-साथ शुद्ध रोहिणी मत वाले वैष्णवों के लिए भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को यानी आज ही मान्य है.

पूरे देश में मनाया जाता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्वः आततायी कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलानेवाले भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. इस पावन अवसर पर जहां मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है तो कई भक्त अपने घरों में भी बड़े उत्साह के साथ इस पर्व को मनाते हैं. इस मौके पर भक्त रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करते हैं. श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा और उनकी बाल लीलाओं का केंद्र रहे गोकुल में तो इस पर्व की अद्भुत छटा देखने को मिलती है.

व्रतराज की संज्ञा दी गयी हैः भारतीय पर्वों की परंपरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की क्या महत्ता है वो इस बात से समझा जा सकता है कि शास्त्रों में इसे 'व्रतराज' कहा गया है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि भी कहा जाता है. इस रात योगेश्वर का ध्यान, नामोच्चारण, मंत्र जप और रात्रि जागरण करने से मोह-माया से आसक्ति समाप्त होती है. ये एक ऐसा व्रत है जिसे करने से एक साथ कई व्रतों का फल मिल जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से संतानप्राप्ति, लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

दुष्टों के संहार के लिए भगवान ने लिया था अवतारः पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में जब पृथ्वी पर दुष्टों का अत्याचार चरम पर पहुंचने लगा तो उस अत्याचार से मुक्ति के लिए स्वयं परब्रह्म ने देवकी और वसुदेव की संतान के रूप में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में अवतार लिया और दुष्ट कंस सहित सभी अत्याचारियों का नाश किया. इस तरह ये महान पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक पर्व भी है.

'जब-जब धर्म की हानि होती है मैं लेता हूं अवतार': भगवान ने स्वयं अपने मुख से कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ जाता है तब-तब मैं प्रकट होता हूं.सज्जनों की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए युग-युग में मैं अवतार लेता हूं. यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥ ( श्रीमद्भगवद्गीता)

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