पटना: बिहार में दो दिवसीय आर्टिकुलेट 2024 सम्मेलन संपन्न हुआ. इसमें देश भर से 250 से अधिक क्लिनिकल गायनेकोलॉजिस्ट के साथ-साथ एंब्रॉलजिस्ट शामिल हुए. इसमें हाल के दौड़ में महिलाओं और पुरुषों में बढ़ रही नपुंसकता पर चिंता व्यक्त हुई और बांझपन के इलाज में जो नई तकनीक आ रही हैं उसे पर विस्तार से चर्चा हुई.
मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से नपुंसकता: डॉ कल्पना सिंह ने बताया कि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल महिलाओं और पुरुषों में नपुंसकता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. महिलाओं में अंडाणु की कमी, ट्यूब में ब्लॉकेज या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी समस्याएं हैं. लगभग 15 से 30% महिलाओं में अंडाणु की कमी की समस्या आ रही है. वहीं 24 से 30 परसेंट पुरुषों में शुक्राणु की कमी आ रही है. यह सब हमारे दैनिक जीवन शैली से जुड़ी हुई समस्याएं हैं.
"मोबाइल का अधिक इस्तेमाल से इसका अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन नपुंसकता का कारण बन रहा है. इसके अलावा कम फिजिकल वर्क, अधिक मेंटल स्ट्रेस, अनियमित और असंयमित खान पान से नपुंसकता बढ़ रही है."- डॉ कल्पना सिंह, विभागाध्यक्ष, रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग, आइजीआइएमएस
एआई से दूर होगी बांझपन की समस्या:आइजीआइएमएस की रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर कल्पना सिंह ने बताया कि बांझपन को दूर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की चर्चा हुई है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गर्भ ठहरने की सटीकता को बताएगा. किस तरह से क्लीनीसियन एआई का इस्तेमाल अपने रोजाना प्रैक्टिस में कर सकते हैं ताकि गर्भ ना ठहरने की समस्या दूर हो, इस पर विशेष चर्चा हुई है.