भारत के पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली की तबीयत खराब होने की खबर है. उन्हें शनिवार को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों के मुताबिक, 52 साल के इस पूर्व क्रिकेटर को ब्रेन क्लॉट की समस्या है. फिलहाल उनका इलाज ठाणे के एक अस्पताल में चल रहा है. अब उनकी तबीयत स्थिर है ऐसी खबर सामने आ रही है. आज इस खबर में हम विस्तार से समझते हैं कि दिमाग में ब्लड क्लॉट होने का मतलब क्या होता है और और ये कितना खतरनाक हो सकता है...
अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के मुताबिक जानें, मस्तिष्क का थक्का (ब्रेन क्लॉट) क्या है?
मस्तिष्क में रक्त के थक्के जिसे सेरेब्रल थ्रोम्बोसिस के नाम से भी जाना जाता है, यह तब होता है जब मस्तिष्क में या उसके भीतर ब्लड फ्लो क्लॉट के कारण अवरुद्ध हो जाता है. यह एक ऐसा क्लॉट है जो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं के भीतर विकसित होता है. यह दिमाग में ब्लड के फ्लो को रोक सकता है और ऊतक क्षति और संभावित रूप से घातक प्रकृति की कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकता है. मस्तिष्क के थक्के किसी को भी हो सकते हैं, लेकिन वे उन रोगियों में अधिक आम हैं जिन्हें कुछ निश्चित चिकित्सा स्थितियां हैं या जो विशिष्ट दवाएं ले रहे हैं.
जानलेवा हो सकता है मस्तिष्क में रक्त का थक्का बनना
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, मस्तिष्क में रक्त का थक्का तब बनता है जब आपके मस्तिष्क में रक्त वाहिका संकरी होने लगती है, जिससे शरीर के अन्य भागों में पर्याप्त रक्त प्रवाहित नहीं हो पाता. इससे दर्द, दौरे , सिरदर्द और बहुत कुछ हो सकता है. कुछ मामलों में, रक्त के थक्के स्थायी विकलांगता या यहाँ तक कि मृत्यु का कारण बन सकते हैं. साफ शब्दों में समझों तो, मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट ऑक्सीजन और ग्लूकोज के फ्लो को रोकता है, जिससे कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की मृत्यु हो जाती है. मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट को स्ट्रोक या मस्तिष्क का दौरा कहा जाता है. स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं और खून बहने लगता है, या जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कुछ मिनटों के लिए अवरुद्ध हो जाता है.
यह रोग अलग-अलग कारणों से होता है, जैसे कि...
- ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर: थ्रोम्बोफिलिया या एंटीथ्रोम्बिन की कमी जैसी स्थितियों से मस्तिष्क में थक्का जमने का खतरा बढ़ जाता है.
- सिर पर मार या चोट: सिर पर गंभीर चोट लगने से मस्तिष्क में थक्का बन सकता है.
- इंफेक्शन:कुछ इंफेक्शन मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकते हैं जिससे थक्का बनने लगता है.
- कैंसर:कुछ कैंसर, जैसे ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क में थक्के बनने केखतरे को बढ़ा सकते हैं.
- कुछ दवाएं:गर्भनिरोधक गोलियां, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और कुछ कीमोथेरेपी दवाएं मस्तिष्क में थक्के बनने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.
- जेनेटिक डिसऑर्डर: कुछ आनुवंशिक विकार, जैसे फैक्टर वी लीडेन, मस्तिष्क में थक्के के खतरे को बढ़ा सकते हैं.