नई दिल्ली:लगभद हर शख्स शेयर मार्केट में अपने निवेश से बंपर रिटर्न पाना चाहता है, लेकिन अधिकांश लोगों को इसमें सफल नहीं हो पाते, क्योंकि शेयरों की चाल और कंपनी की गतिविधियों को समझने के लिए निवेशकों को लगातार एक्टिव रहना पड़ता है. इसके अलावा इमोशन भी निवेशकों की सफलता में बाधा बनते हैं. अक्सर इंवेस्टर भावनाओं में आकर गलत फैसले ले लेते हैं और उनकों नुकसान या फिर उनका रिटर्न कम हो जाता है.
ऐसे में द सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(SEBI) ने रिटेल इंवेस्टर को एल्गोरिथम (एल्गो) ट्रेडिंग के क्षेत्र में लाने के लिए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पेश किया है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर पारंपरिक रूप से संस्थाओं का दबदबा रहा है.
रिटेल इनवेस्टर्स को एल्गो ट्रेडिंग की अनुमति
सेबी ने रिटेल इनवेस्टर्स को एल्गो ट्रेडिंग की अनुमति देने के लिए एक ड्रॉफ्ट सर्कुलर जारी किया है. इसमें ब्रोकर्स के लिए चेक और बैलेंस का प्रस्ताव है और इसमें इंवेस्टर्स को एल्गो-बेस्ड ऑर्डर देने की अनुमति शामिल. इसने एक्सचेंज लेवल पर एक ऐसा सिस्टम रखने का भी सुझाव दिया जो एक्सचेंज को उन एल्गो ऑर्डर रद्द करने की अनुमति देगा जो नियमों का पालन नहीं करते हैं.
वर्तमान में एल्गो ट्रेडिंग काफी अधिक लोकप्रिय हो रही है. भारत के लिए यह नई है. हालांकि, अधिकांश रिटेल इंवेस्टर इसके बारे में नहीं जानते हों, लेकिन भारतीय शेयर बाजार में बड़ी मात्रा में एल्गो स्ट्रैटेजी से ही ट्रेडिंग हो रही है.
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार NSE और BSE पर आ रहे कुल ऑर्डर्स में से 50 फीसदी से अधिक एल्गो ट्रेड्स हैं. बड़े संस्थागत निवेशक और हाई नेटवर्थ वाले इंवेस्टर एल्गो ट्रेडिंग का जमकर उपयोग कर रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि एल्गो ट्रेडिंग में इंवेस्टर को कोई मेहनत नहीं करनी होती. साथ ही उसे हाई रिटर्न भी मिलता है.
क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग?
एल्गो ट्रेडिंग एक एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, जो शेयर बाजार में इंवेस्टर के लिए काम करता है. इसका काम इंवेस्टर को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा दिलाना है. इसके एल्गोरिदम में इस्तेमाल होने वाला निर्देशों के सेट टाइमिंग, प्राइस, क्वांटिटी और किसी गणितीय मॉडल पर बेस्ड होते हैं.