राजमहेंद्रवरम: बढ़ती उम्र के साथ अकेलापन जीवन का ऐसा सच बन जाता है, जिससे कई बुजुर्ग जूझते हैं. कुछ तो भरा-पूरा परिवार होने के बाद भी अकेलापन से जूझते हैं. ऐसे बुजुर्गों को अक्सर वृद्धाश्रम में सहारा मिलता है. वहां वे अपने जैसे ही बुजुर्ग लोगों के साथ अपना गम बांटते हैं. यहां समान परिस्थितियों में जी रहे लोग न केवल दोस्त बनते हैं बल्कि एक-दूसरे का सहारा भी बन जाते हैं. आंध्र प्रदेश का एक वृद्धाश्रम इसका गवाह बना.
उम्र के बंधन को तोड़ाः आंध्र प्रदेश के राजमहेंद्रवरम स्थित एक वृद्धाश्रम में प्यार ने उम्र की सारी सीमाओं की बंधन को तोड़ दिया. 68 वर्षीय महिला गजाला रामुलम्मा और 64 वर्षीय पुरुष मदागला मूर्ति ने जीवन के अंतिम पड़ाव में एक-दूसरे का सहारा बनने का फैसला किया. शुक्रवार को दोनों विवाह के बंधन में बंध गए. इस अनोखी शादी के गवाह बने वृद्धाश्रम में मौजूद उनकी तरह ही असहाय लोग. सभी ने मिलकर परिवार जैसा माहौल बनाया और शांदी संपन्न करायी.
लकवा से ग्रसित हैं मूर्ति: मूल रूप से वाईएसआर जिले के पेनागलुर मंडल के कम्मालाकुंटा की रहने वाली रामुलम्मा और राजमहेंद्रवरम के नारायणपुरम के रहने वाले मूर्ति ने इस आश्रम में रहने के दौरान एक-दूसरे का साथ और सुकून पाया. दो साल से यहां रह रहे मूर्ति लकवा से जूझ रहे हैं और उन्हें सहायता की जरूरत है. रामुलम्मा ने उन्हें ठीक होने में मदद की.
बुजुर्ग साथियों ने दिया साथः इस दौरान उनके बीच एक बंधन बनाया जो आगे चलकर उनके जीवन के बाकी हिस्से एक साथ बिताने की इच्छा में बदल गया. उनके फैसले से प्रेरित होकर आश्रम के बुजुर्ग साथियों ने परिवार और बुजुर्गों की भूमिका निभाते हुए विवाह का आयोजन किया. स्वर्णांध्रा के प्रबंधक गुब्बाला रामबाबू ने विवाह की यात्रा में जोड़े का साथ दिया.
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