करूर: तमिलनाडु में प्राचीन ग्रंथ 'थिरुक्कुरल' को नैतिक शिक्षा और संस्कारों का आधार माना जाता है. यह ग्रंथ जीवन के हर पहलू से जुड़े महत्वपूर्ण उपदेश देता है. लेकिन डिजिटल युग में छात्रों की इससे दूरी बढ़ रही है. इसे देखते हुए एक शिक्षक ने अनोखी पहल की है. करूर जिले के वेल्लियानई सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मनोहरन ने छात्रों में महान तमिल ग्रंथ ‘थिरुक्कुरल’ के प्रति रुचि पैदा करने के लिए तकनीक का खोज किया है. अब छात्र मोबाइल स्कैन कर इसकी शिक्षाओं से जुड़ सकते हैं.
कैसे पढ़ाया जाता है छात्रों कोः उन्होंने क्यूआर कोड के माध्यम से थिरुक्कुरल सीखने की एक आधुनिक शिक्षण पद्धति विकसित की है. छात्रों को थिरुक्कुरल का महत्व सिखा रहे हैं. इसे छात्रों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है. ऐसे में वेल्लियानई सरकारी प्राथमिक विद्यालय में गए हमारे ईटीवी भारत संवाददाता को स्कूल के प्रधानाध्यापक धर्मलिंगम कक्षा में ले गए. इसके बाद, स्कूल की कक्षा में ऐसा माहौल देखा गया जहां छात्र सीखने के लिए उत्सुक थे. पाठ्यक्रम के नक्शे और उत्पादन सामग्री छात्रों द्वारा स्वयं तैयार की गई थी ताकि उन्हें समझने में आसानी हो.
छात्रों में रुचि जगाने का प्रयास: थिरुक्कुरल क्यूआर कोड को डिज़ाइन करने वाले शिक्षक मनोहरन ने कहा कि कन्याकुमारी में तिरुवल्लुवर प्रतिमा के 25 साल पूरे होने के बाद इसे रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. इसके हिस्से के रूप में, तमिलनाडु सरकार ने सरकारी स्कूल के छात्रों को तिरुक्कुरल से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था. छात्रों के लिए थिरुक्कुरल सीखना आसान बनाने के लिए यह क्यूआर कोड प्रणाली बनाई गई है.
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"चूंकि आज की पीढ़ी मोबाइल फोन का इस्तेमाल तेजी से कर रही है, इसलिए मैंने यह नई पहल की है. क्योंकि मुझे लगता है कि इसे उपयोगी बनाया जाना चाहिए. इसके अलावा, छात्रों की स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए, छात्रों को पाठ्यपुस्तकों से परे जाकर 1,330 तिरुक्कुरल को जल्दी से जल्दी याद करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस पहल को स्कूल के प्रधानाध्यापक और जिला शिक्षा अधिकारी के अलावा शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है."- मनोहरन, थिरुक्कुरल क्यूआर कोड को डिज़ाइन करने वाले शिक्षक
स्कूल के प्रधानाध्यापक धर्मलिंगम ने कहा, "तमिलनाडु में निजी स्कूलों की संख्या में वृद्धि के बीच, वेल्लियानई सरकारी प्राथमिक विद्यालय में लगभग 170 छात्रों के साथ कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं. प्राथमिक शिक्षा में, तमिल में थिरुक्कुरल को आसानी से सीखने के लिए छात्रों को क्यूआर कोड बनाए जा रहे हैं और उन्हें सिखाया जा रहा है. छात्र तमिलनाडु सरकार द्वारा स्कूलों को दिए गए आधुनिक टच-स्क्रीन कंप्यूटर और टैब का उपयोग करके थिरुक्कुरल सीख रहे हैं."
विद्यार्थियों को गर्व है: स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा याजिनी ने बताया, "मुझे वेल्लियानई प्राइमरी स्कूल में पढ़ने में बहुत गर्व महसूस हो रहा है. इसकी वजह हमारे स्कूल के शिक्षक द्वारा बनाया गया क्यूआर कोड है. इसकी वजह से थिरुक्कुरल सीखने की प्रक्रिया आसान हो गई है. मैंने इस क्यूआर कोड के ज़रिए अब तक 40 से ज़्यादा थिरुक्कुरल याद कर लिए हैं. मैं भूलती नहीं हूं, क्योंकि मुझे हर कुरल की व्याख्या पता है और मैं उसका अध्ययन करती हूं."
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"मेरे माता-पिता ने मोबाइल फोन खरीदा. उसका इस्तेमाल मनोरंजन के लिए करने के बजाय थिरुक्कुरल पढ़ने में किया. मेरे माता-पिता भी मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं."- पेरिया कुमार, पांचवीं कक्षा का छात्र
क्या है थिरुक्कुरलः थिरुक्कुरल तमिल-साहित्य का सर्वोत्कृष्ट नीतिग्रंथ माना जाता है. प्रस्तुत काव्य के रचयिता सुप्रसिद्ध संत तिरुवल्लुवरजी हैं. थिरुक्कुरल के तीन भाग हैं. धर्म, अर्थ तथा काम. धर्मकांड में 38, अर्थ कांड में 70 तथा कामकांड में 25 अध्याय हैं. प्रत्येक अध्याय में 10 कुरल के हिसाब से संपूर्ण रचना में 1330 कुरल हैं. "तिरु" आदर सूचकविशेवण है जैसे हिन्दी में "श्री" कहते हैं. कुरलः तमिल के एक छन्द का नाम है, जैसे हिन्दी में दोहा है. ऐसा माना जाता है कि इस ग्रंथ को पढ़कर व्यक्ति ज्ञानवान और सुशील बन सकता है.
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