नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण, जीवन रक्षक दवाओं और स्वास्थ्य बीमा को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से मुक्त करने की अपील की है. शुक्रवार को यहां आईएमए एक्शन कमेटी के अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय से आगामी केंद्रीय बजट में उनके सुझाव पर विचार करने की अपील की है.
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा उपकरण, जीवन रक्षक दवाओं और स्वास्थ्य बीमा जैसे कई महत्वपूर्ण घटकों के लिए जीएसटी को वापस लेना वास्तव में आवश्यक है. हमने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया है कि कैंसर की दवाओं को जीएसटी से मुक्त किया जाना चाहिए. पिछले केंद्रीय बजट में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैंसर की तीन दवाओं को सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया था, जिनमें ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डर्वालुमैब शामिल हैं.
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कैंसर की दवाइयां बहुत महंगी हैं. और ऐसी दवाओं पर जीएसटी से छूट देना जरूरी है. डॉ. अग्रवाल के अनुसार, आईएमए ने स्वास्थ्य मंत्रालय से स्वास्थ्य क्षेत्र में बजटीय आवंटन बढ़ाने की भी अपील की है. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्राथमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर बहुत जोर दिए जाने की जरूरत है. चिकित्सा क्षेत्र में पीपीपी मोड को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय टीकाकरण प्रक्रिया में ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन को शामिल करना चाहिए. एचपीवी वैक्सीन ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) से सुरक्षा प्रदान करती है, जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का एक प्रमुख कारण है. डॉ. अग्रवाल और आईएमए के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी एसोसिएशन की नई गवर्निंग काउंसिल के गठन के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
आईएमए के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. दिलीप पी भानुशाली ने दोहराया कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून के लिए आईएमए अपनी लड़ाई जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल बनाने के लिए केंद्रीय कानून बहुत जरूरी है, जहां डॉक्टर बिना किसी डर के सेवा कर सकें.
डॉ. भानुशाली ने कहा कि हम अपनी सभी राज्य शाखाओं के साथ लगातार संपर्क में हैं, ताकि हम डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठा सकें. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था राज्य का मुद्दा है. डॉ. भानुशाली ने कहा कि आईएएम स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार के संपर्क में है. मिक्सोपैथी मुद्दे पर बात करते हुए डॉ. भानुशाली ने मिक्सोपैथी के खिलाफ आईएमए के रुख को दोहराया.
डॉ. भानुशाली ने कहा कि हम मिक्सोपैथी की अवधारणा का विरोध करते हैं. हालांकि, हम इस बात पर जोर देते हैं कि आयुर्वेद अलग से अपना शोध कर सकता है और लोगों की सेवा कर सकता है. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का जिक्र करते हुए डॉ. भानुशाली ने कहा कि वायरस को बहुत अधिक महत्व दिया गया है.
डॉ. भानुशाली ने कहा कि यह कोई नया वायरस नहीं है. यह भारत में लंबे समय से है. एचएमपीवी एक आम वायरस है. यह आमतौर पर सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की केंद्रीय परिषद ने डॉ. सरबरी दत्ता को संघ की पहली महिला महासचिव चुना है. आईएमए की केंद्रीय परिषद वह शासी निकाय है जो संघ के लिए नीतियां निर्धारित करती है.