नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक फैसले में कहा कि हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को भी चलाने का हकदार है. यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनाया. इस कानूनी सवाल को एलएमवी चलाने के लाइसेंस रखने वालों के द्वारा चलाए जा रहे परिवहन वाहनों से जुड़े दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों द्वारा दावों के भुगतान को लेकर उठे विभिन्न विवादों ने जन्म दिया था.
सीजेआई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था. इसमें न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे. सुनवाई के दौरान केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने अदालत के समक्ष दलील दी थी कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 में संशोधन के लिए परामर्श लगभग पूरा हो चुका है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों को अभी संसद में पेश किया जाना है. यह संसद के शीतकालीन सत्र में ही किया जा सकता है.
आज, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि वाहन का कुल वजन 7500 किलोग्राम के भीतर है, तो एलएमवी लाइसेंस वाला एक आम आदमी भी परिवहन वाहन चला सकता है.
न्यायमूर्ति रॉय ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचने में सक्षम हैं क्योंकि इस मामले में किसी भी पक्ष ने यह दिखाने के लिए कोई अनुभवजन्य डेटा प्रस्तुत नहीं किया है कि परिवहन वाहन चलाने वाले एलएमवी चालक भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक महत्वपूर्ण कारण हैं. न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि सड़क सुरक्षा वैश्विक स्तर पर एक गंभीर सार्वजनिक मुद्दा है. भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.7 लाख लोग मारे गए हैं.