रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार ने किन-किन योजनाओं का लिया सहारा, एक नजर
Unemployment in India- बेरोजगारी पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार अलग-अलग योजनाओं पर काम करती रहती है. फिर भी बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है. आइए जानते हैं सरकार की उन योजनाओं के बारे में जिनके जरिए रोजगार बढ़ाने का दावा किया गया था. पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली:भारत आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्थता में से एक है. वहीं, दूसरी तरफ बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जो भारत के आर्थिक परिदृश्य को चुनौती देता रहता है. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक के रूप में, बेरोजगारी दर भारत की वृद्धि और विकास को प्रभाव डालता है. सरकार बेरोजगारी को कंट्रोल करने के लिए पहल भी कर रही है. लेकिन फिर भी देश में बेरोजगारी कम होने का नाम नहीं ले रही है.
बेरोजगारी (फाइल फोटो)
नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएसओ) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 के दौरान घटकर 6.8 फीसदी हो गई, जो एक साल पहले 8.2 फीसदी थी. बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार कई नीतियां लेकर आती है.
बेरोजगारी (फाइल फोटो)
आइये जानते हैं सरकार की इन नीतियों के बारे में
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)-यह सरकार द्वारा स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया है. इस योजना के तहत रुपये तक कोलेटरल फ्री लोन, स्मॉल/माइक्रो बिजनेस एंटरप्राइजेज और व्यक्तियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने या विस्तारित करने में सक्षम बनाने के लिए 10 लाख रुपये दिया जाता है.
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना- इसकी शुरुआत 2016-17 में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा की गई थी. यहां सरकार नए कर्मचारी के रजिस्ट्रेशन की तारीख से अगले 3 साल के लिए सभी पात्र नए कर्मचारियों को सभी क्षेत्रों के लिए ईपीएस और ईपीएफ के लिए नियोक्ता के पूरे योगदान (12 फीसदी या स्वीकार्य) का भुगतान करती है.
स्किल इंडिया मिशन- इस स्किल इंडिया मिशन के तहतद्वारा देश भर में चार वर्षों के लिए शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग (एसटीटी), पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) और विशेष परियोजना (एसपी) के तहत एक करोड़ लोगों को कौशल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंप्लीमेंट किया गया है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई)-भारत सरकार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के तहत नियोक्ता के हिस्से का 12 फीसदी और कर्मचारी के हिस्से का 12 फीसदी दोनों का योगदान करती है, जो 100 कर्मचारियों तक वाले संगठनों के लिए मार्च से अगस्त 2020 तक वेतन माह के वेतन का कुल 24 फीसदी है. ऐसे 90 फीसदी कर्मचारी रुपये से कम कमाते हैं.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)-इसकी शुरुआत 2005 में 10वीं पंचवर्षीय योजना में की गई थी और यह ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत काम करता है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 100 दिनों के अनस्किल मैनुअल वर्क की कानूनी गारंटी प्रदान करता है. ग्रामीण परिवार का 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी सदस्य, जो अनस्किल मैनुअल वर्क करने का इच्छुक है, स्थानीय ग्राम पंचायत (जो जॉब कार्ड जारी करेगा) में आवेदन कर सकता है.