नई दिल्ली: इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते चलन के साथ कई तरह के खतरे भी सामने आए हैं. स्मार्टफोन ने जहां कई काम आसान कर दिए हैं, वहीं इसने स्कैमर्स और साइबर अपराधियों को लोगों को धोखा देने के नए रास्ते भी मुहैया कराए हैं. इसे देखते हुए, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने हाल ही में लोगों को धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई उपाय लागू किए हैं.
स्पैम एसएमएस के खतरे को रोकने और फिशिंग हमलों को रोकने के लिए एक बड़े कदम में ट्राई ने मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो, सुनील मित्तल की भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया (वीआई) और राज्य के स्वामित्व वाली बीएसएनएल सहित सभी दूरसंचार प्रोवाइडर को 1 दिसंबर से ट्रेसबिलिटी नियम लागू करने को कहा है.
इस बड़े फैसले की घोषणा सबसे पहले अगस्त में की गई थी, जिसमें कमर्शियल मैसेज और ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) पर ध्यान केंद्रित किया गया था. शुरुआत में दूरसंचार कंपनियों को इन ट्रेसेबिलिटी उपायों को लागू करने के लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा दी गई थी. लेकिन जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल जैसी प्रमुख कंपनियों के अनुरोधों के बाद इस समयसीमा को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया था.
ट्राई के नियमों का आप पर कैसे पड़ेगा असर?
1 दिसंबर से इन कंपनियों को कमर्शियल और ओटीपी मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्राई के नियमों का पालन करना होगा. अगर जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल 1 दिसंबर से इन ट्रेसेबिलिटी को लागू करना शुरू करते हैं, तो ओटीपी मैसेज में देरी हो सकती है. नतीजतन, अगर आप बैंकिंग या रिजर्वेशन बुकिंग जैसी गतिविधियों में लगे हुए हैं, तो आपको अपने ओटीपी के लिए अधिक समय तक इंतजार करना पड़ सकता है.
ट्राई की पहल इस अहसास से आई है कि स्कैमर्स अक्सर व्यक्तियों के उपकरणों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए नकली ओटीपी मैसेज का फायदा उठाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान होता है.