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ताजमहल या तेजोमहालय का फिर विवाद गरमाया, सावन में जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल - Agra Taj Mahal - AGRA TAJ MAHAL

आगरा स्थित ताजमहल को तेजोमहालय बताकर सावन में जलाभिषेक करने के लिए हिंदूवादी संगठन की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस संबंध में जवाब मांगा है.

योगी यूथ ब्रिगेड ने कोर्ट में दाखिल किया वाद.
योगी यूथ ब्रिगेड ने कोर्ट में दाखिल किया वाद. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 5:55 PM IST

आगराःएक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमा गया है. योगी यूथ ब्रिगेड ने लघुवाद न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में एक वाद (याचिका) दायर करके सावन में तेजोमहालय (ताजमहल) में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की है. योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर और अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के मंगलवार दोपहर लघुवाद न्यायालय में दायर किए वाद को न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने स्वीकार कर लिया है. जिसमें प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल को बनाया गया है. न्यायाधीश ने राजकुमार पटेल को समन और नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं.

हिंदू राजा परम द्रविदेव ने बनवाया था तेजोमहालय
अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि सावन का पावन माह चल रहा है. इस महीने में महादेव की आराधना का विशेष महत्व है. ये माह करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है. इसलिए, इस माह में तेजोमहालय यानी भगवान शिव के मंदिर में भी जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक होना चाहिए. इसलिए, कोर्ट में वाद दायर किया है. तोमर का कहना है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में एक शिव मंदिर बनवाया था. जिसे तेजोमहालय या तेजोमहल नाम दिया गया था. राजा राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने इसे अपना महल बनाया और मंदिर को सुरक्षित रखा. बाद में मुगलों का शासन आया. इस दौरान शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. यहीं पर ताजमहल का निर्माण हुआ. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. क्योंकि मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत शव को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि, असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य गुम्बद के कलश ही हिन्दू मंदिरों की तरह
अजय तोमर का कहना है कि मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में ही खत लिखा था. जिसमें लिखा था कि इमारत में दरारें आ गई हैं, कभी भी गिर सकती है, इसकी मरम्मत की जाए. इससे यह भी साफ होता है कि कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसको मॉडिफाई किया गया है. मुख्य गुम्बद पर जो कलश है, वह हिन्दू मंदिरों की तरह है. आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा बना है. अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है. जो भगवान शिव का चिह्न है.

आक्रांता थे मुगल, हिंदू धार्मिक स्थल तोडकर बनाए मकबरा
अजय तोमर का कहना है कि मुगलों ने भारत में आकर मंदिरों को तोड़ा और उनके ऊपर मकबरे बनाए. मुगल आतंकवादी आक्रांत थे. जिन्होंने हमारे हिंदू मंदिरों को तोड़कर उनके ऊपर मस्जिद और मकबरे बनवाए. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. मुगलों ने अपने नाम की नेम प्लेट हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर लगा रखी है. जो बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ताजमहल वर्तमान में एक इमारत है. लेकिन मुस्लिम समुदाय की ओर से नमाज होती है. उर्स आयोजित होता है तो फिर, सावन माह या महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय से जलाभिषेक की अनुमति की मांग की गई है. अगर, अनुमति मिलती है तो योगी यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारी ताजमहल में जाकर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर भगवान शिव की आराधना करेंगे.


ताजमहल में शिव मंदिर के तमाम सबूत
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं. जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिन्हें सनातन धर्म में उपयोग किया जाता है. हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते हैं. तेजोमहालय ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है. अधिवक्ता का कहना है कि तेजोमहालय हिंदू मंदिर है. जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में भी शिवरात्रि को लेकर 4 मार्च 2024 को वाद दायर किया गया था. जिसे न्यायालय द्वारा धारा 80 सीपीसी की छूट न देते हुए खारिज कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा गया था. जिसका जवाब ना आने पर पुनः जलाभिषेक की मांग को लेकर वाद दायर किया है.

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