प्रयागराजः महाकुंभ में संगम तट पर मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान मची भगदड़ में कई लोगों की मौत के बाद सभी 13 अखाड़ों ने सुबह शाही स्नान रद्द कर दिया था. हालांकि बाद में प्रशासन से बातचीत शाही स्नान के लिए राजी हो गए. भगदड़ के कारण बड़े ही सादगी में अखाड़ों के साधु-संत बिना जुलूस के संगम तट पर स्नान के लिए पहुंचे.
इसके पहले प्रशासन ने संतों को संगम तट तक जाने के लिए रास्ता खाली करा दिया था. अटल और महानिर्वाणी अखाड़ा के साधु संत और नागा संन्यासी पैदल ही स्नान करने के लिए पहुंचे हैं. अमृत स्नान संगम तट पर शुरू हो चुका है. सबसे पहले अमृत स्नान महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा ने किया है.
हालांकि निरंजन और आनंद अखाड़ा पेशवाई करते हुए स्नान के लिए पहुंचा है. लेकिन यह पेशवाई सादगी के साथ नहीं भव्यता के साथ है. जिसमें महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि भी रथ पर सवार होकर संगम तट पर अमृत स्नान करने पहुंचे हैं.
बता दें कि महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर्व के पहले ही संगम पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए थे. मंगलवार-बुधवार रात हालात बेकाबू हो गए. इस घटना के बाद दंडी स्वामी संतों ने संगम की बजाय दशाश्वमेध घाट पर शाही स्नान किया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी स्नान करने आ रहे सभी श्रद्धालुओं और भक्तों से अपील की है कि कुंभ क्षेत्र में जहां भी निकट हो, गंगा की धारा या घाट नजदीक दिखाई दे, वहीं पर वह स्नान करें. सम्पूर्ण महाकुंभ क्षेत्र में त्रिवेणी संगम स्नान करने के बराबर का ही पुण्य फल मिलता है.
वहीं, श्री गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि कि गंगा में कहीं भी डुबकी लगाएं, त्रिवेणी में डुबकी लगाने का योग न भी हो तो भावना से फल मिलता है. यहां की जलवायु में त्रिवेणी का सन्निवेश है, यहां की हवा पवित्रता को लेकर बहती है. कहीं भी स्नान करें, समान पुण्य फल मिलता है.
अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम महाराज के मुताबिक परम्परा के अनुसार दंडी स्वामी श्री पंच दशनाम जूना, अग्नि, आवाहन और निरंजनी अखाड़े के साथ ही अमृत स्नान करते रहे हैं.
प्रयागराज महाकुंभ का मकर संक्रांति का अमृत स्नान भी दंडी स्वामी संतों ने जूना अखाड़े के साथ किया था, लेकिन इस बार मौनी अमावस्या की भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं के हित में परिषद ने यह फैसला किया.
मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में दंडी समाज संगम के स्थान पर गंगा में ही स्नान करने का फैसला किया. दशाश्वमेध घाट पर सुबह 4 बजकर 5 मिनट पर सभी दंडी स्वामी ने गंगा में अमृत स्नान किए.
बता दें कि मंगलवार की रात महाकुंभ के लिए अमंगल हो गई. भीड़ का दबाव इतना बढ़ा कि भगदड़ मच गई. इसमें कई लोगों की मौत हो गई, हालांकि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक बताई जा रही है. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं.
मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि अफवाह के कारण भगदड़ हुई. 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं. सभी को महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. महाकुंभ के अस्पताल में घायलों को लेकर आने वाली एंबुलेंस का तांता लगा हुआ है. राहत और बचाव कार्य में पूरा प्रशासन जुटा हुआ है. दर्दनाक हादसा रात करीब दो बजे संगम तट के पास हुआ.